उपचुनाव में असम से एक बड़ी खबर आ रही हैं जिसका दूरगामी राजनीतिक निहितार्थ होता दिख रहा हैं। असम में पांच सीटों पर विधायकों के सांसद बनाने के कारण इन सभी सीटों पर उपचुनाव आहूत हैं।
असम के इन उपचुनावों का सबसे बड़ी खबर हैं की बरूद्दीन अजमल की पार्टी अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट इन चुनावों में हिस्सा नहीं ले रही है। यह पहली बार हैं जब पार्टी के गठन के बाद अजमल की पार्टी किसी चुनाव में हिस्सा नहीं ले रही हैं। अजमल की पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा को अपनी रणनीतिक चाल का हिस्सा बताते हुए ये कदम उठाया हैं। बदरुद्दीन अजमल लोकसभा चुनाव में अपनी बुरी पराजय से काफी मर्माहत हैं वो कोई भी राजनीतिक कदम लेने से पूर्व काफी सोच-विचार कर जमीनी हालात को टटोलते हुए फैसला लेना चाहते हैं।
बदरुद्दीन अजमल की सीट धुबरी बांग्लादेश से लगती हैं और ऐसा कहा जाता हैं की इस सीट पर बदरुद्दीन अजमल ने काफी बाहरी को बसाया और उनको मतदाता बनाया। इस लोकसभा सीट पर मतदान प्रतिशत काफी चौकानेवाला हैं। इस सीट पर 2014 , 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक वोटिंग प्रतिशत पुरे देश में होने का रिकॉर्ड हैं। 2014 में 88.36 , 2019 में 90.66 वो 2024 में 92.08 प्रतिशत वोटिंग इस सीट पर होना अन्य सीटों खासकर शहरी सीटों के लिए जहाँ मतदान कम होता हैं उसके लिए एक उद्धरण हैं। जबकि इस सीट पर 2009 में जब पहली बार बरूद्दीन अजमल इस सीट से विजयी हुए थे तो मतदान प्रतिशत सामान्य 67 प्रतिशत था।
2024 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक 10 लाख से भी अधिक मतो के अंतर् से इस सीट का चुनाव परिणाम आया हैं। जिससे बदरुद्दीन अजमल और भी दुखी हैं क्योंकि हर चुनावी विमर्श के मौके पर उनकी इस हार की चर्चा खुलेआम हो रही हैं।
सबसे ख़ास बात विगत चुनाव में ये रही की अजमल की पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में एक भी विधानसभा सीट पर बढ़त बनाने में नाकाम रही। धुबरी लोकसभा सीट के अंतर्गत 11 विधानसभा की सीट हैं जिसमे एक सीट पर भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद वो शेष 10 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने बढ़त बनाया था। अजमल की पार्टी ने 2024 में तीन लोकसभा सीटों धुबरी, करीमगंज और नौगॉव सीटों पर चुनाव लड़ा। इन तीनो लोकसभा सीटों के अंतरतगत 25 विधानसभा की सीट हैं और किसी भी विधानसभा सीट पर अजमल की पार्टी बढ़त बनाने में नाकाम रही। इस बुरे प्रदर्शन के कारण अजमल ने उपचुनाव से दुरी ही बनानी अभी की समयानुसार अनुकूल समझा।
बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 3 लोकसभा की सीटें वो २०११ की असम विधानसभा के चुनाव में 18 सीटें जीतकर सभी को चौका दिया था। अजमल की पार्टी ओवैसी की पार्टी से भी बड़ी पार्टी अपने राज्य के लिहाज वो लोकसभा के सदस्यों के हिसाब से बन गई थी। अजमल का अगला निशाना केरल के इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के प्रदर्शन को अपने राज्य असम में पीछे छोड़ने का बनता जा रहा था।
यह भी अजमल की राजनीतिक मज़बूरी ही हैं की उनको चुनावी पटकनी देने वाले कांग्रेस पार्टी के रकीबुल हुसैन जो की सामगुरी विधानसभा सीट से विधायक थे उस सीट पर बदरुद्दीन अजमल उनके पुत्र वो कांग्रेस प्रत्यासी तंज़ील हुसैन को समर्थन देना पड़ रहा है क्योंकि उनके पास इसके अलावा कोई विकल्प मौजूद ही नहीं हैं।
भाजपा ने असम में भी अन्य राज्यों की तरह अपने सहयोगी दलों का पूरा धयान/ख्याल रखते हुए खुद तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं और दो सीटें सीडली और बोंगईगांव की सीटें अपने दो सहयोगी दलों को देकर अच्छे सहयोगी धर्म का पालन कर रही हैं। वही दूसरी और कांग्रेस पार्टी का पश्चिम बंगाल की तरह यहाँ भी अपने सहयागियों के साथ गठबंधन टूट गया हैं और कांग्रेस पार्टी सभी पांच सीटों पर खुद से चुनाव लड़ रही हैं।
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