कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत को फंसाने की अपनी साजिश में नाकाम होने के बाद से वो बौखलाए हुए हैं। हालात ये है कि खालिस्तानी चरमपंथी दिन दहाड़े हिन्दू मंदिरों में घुसकर श्रद्धालुओं पर हमले कर रहे हैं और वो अपनी पुलिस की बेशर्मी के साथ पीठ थपथपा रहे हैं। ट्रूडो पर खालिस्तानी आतंकियों के साथ मिले होने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का वह एक्शन चर्चा में है, जब उन्होंने ट्रूडो को उनकी जगह दिखा दी थी।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि खालिस्तानी अलगाववादियों और आतंकियों का समर्थन हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सारी हदें पार कर भी उनका समर्थन कर रहे हैं। हिन्दुओं पर लगातार खालिस्तानी हमले कर रहे हैं, मंदिरों पर हमले किए जा रहे हैं। इस पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जस्टिन ट्रूडो पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि कनाडा में इस वक्त एक ऐसी सरकार है, जो कि अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति को लिए आतंकवाद और अलगाववाद को समर्थन कर रही है। एक आतंकी (हरदीप सिंह निज्जर) की मौत पर जिस प्रकार ट्रूडो भारत पर उंगली उठा रहे हैं, वो अपनी बर्बादी के लिए खुद ही आमंत्रण दे रहे हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उस वक्त को याद किया, जब सुषमा स्वराज देश की विदेश मंत्री हुआ करती थीं। उन्होंने कहा, ‘उस वक्त जस्टिन ट्रूडो ने अपने रक्षा मंत्री को पंजाब के दौरे पर भेजा था, जो कि खालिस्तानी चरमपंथी संगठन वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन का सदस्य था। इसलिए मैंने उससे मिलने से साफ इंकार कर दिया। वो रक्षा मंत्री खालिस्तानी आदोलन से जुड़ा था और उसका पिता वर्ल्ड सिख संगठन का मुखिया था। बाद में जब जस्टिन ट्रूडो भारत के दौरे पर आए तो उन्होंने मुझसे मिलने से मना कर दिया।’
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उस वक्त की विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने जस्टिन ट्रूडो की इस हरकत पर नाराजगी जाहिर की थी और दो टूक कह दिया था कि तब तक वो पंजाब के दौरे पर नहीं जा सकते हैं। जब तक कि वह राज्य के मुख्यमंत्री से मिलने से के लिए तैयार नहीं होते हैं। बाद में भारत सरकार के दबाव के आगे झुकते हुए ट्रूडो ने अमृतसर में मुझसे (कैप्टन अमरिंदर सिंह) अपने रक्षा मंत्री के साथ मिले थे। कैप्टन सिंह का कहना है कि उस वक्त हमने उन्हें दो टूक कहा था कि कनाडा में ड्रग्स और गैंगस्टरों की भरमार है। वहां पर खालिस्तानी चरमपंथियों का बोलबाला है। हमने ट्रूडो को ऐसे 20 खालिस्तानी आतंकियों का नाम सौंपा था, जिनमें से कई तो ट्रूडो की कैबिनेट में भी शामिल थे।
ट्रूडो के खालिस्तानी तुष्टिकरण का असर
जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तानी प्रेम के कारण वहां पर दिन दहाड़े हिन्दुओं पर हमले किए जा रहे हैं। लेकिन कनाडा की पुलिस खामोश बनी हुई है। फ्रीडम ऑफ स्पीच का हवाला देते हुए ट्रूडो लगातार इन अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं। ट्रूडो की इसी हरकत का असर ये हो रहा है कि भारत के साथ कनाडा के रिश्ते अपने सबसे बुरे दौर में हैं। असल में ट्रूडो भारत को अभी भी राजनीतिक तौर पर कमजोर समझकर अपनी धौंस जमाने की कोशिशें कर रहे हैं। लेकिन, वो भूल गए हैं कि वक्त बदल गया है।
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