कनाडा के विपक्षी नेता पियरे पोलीवरे और उनकी कंजर्वेटिव पार्टी द्वारा 2024 का दिवाली उत्सव रद्द करने के फैसले ने हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदायों में नाराजगी पैदा कर दी है। इस निर्णय को कनाडा के विविध सांस्कृतिक समुदायों के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक माना जा रहा है।
कनाडा हिंदू फोरम ने इस निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिवाली, जिसे दुनिया भर में एकता और प्रकाश का त्योहार माना जाता है, को रद्द करना एक बड़े सामुदायिक हिस्से को त्यागने जैसा है। फोरम के सदस्यों का कहना है कि इस फैसले से न केवल धार्मिक संवेदनाएं आहत हुई हैं, बल्कि यह भी पता चलता है कि कनाडा में भारतीय संस्कृति का कितना सम्मान है।
🌌✨ Diwali Greetings from Space! 🪔🚀#NASA
It’s disappointing that the Leader of the Opposition, the Honorable Pierre Poilievre, and the Conservative Party of Canada (@CPC_HQ) have chosen to cancel the 2024 #Diwali celebrations—a move that sends a clear message of exclusion to… pic.twitter.com/XVecupfxd7
— HinduForumCanada #HFC (@canada_hindu) October 29, 2024
हिंदू फोरम ने अपने बयान में यह भी उल्लेख किया कि दिवाली का सम्मान न केवल अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन जैसे नेताओं द्वारा किया गया है, बल्कि अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने भी इस पर्व को महत्व दिया है। इसके बावजूद, कनाडाई विपक्षी नेता ने हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदायों की भावनाओं का सम्मान नहीं किया है।
समुदायों के बीच राजनीतिक विभाजन के कारणों का विश्लेषण करते हुए, फोरम ने कहा कि यह निर्णय राजनीति से प्रेरित तुष्टिकरण का परिणाम है। लगभग 2.5 मिलियन की आबादी वाले ये समुदाय कनाडा के सामाजिक ताने-बाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उन्होंने विज्ञान, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कनाडा हिंदू फोरम ने आगामी चुनावों में इन समुदायों के एकजुट होने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि लोग ऐसे नेताओं का चयन करें जो वास्तविक समावेशिता का समर्थन करते हों। इस प्रकार के निर्णय, जो एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव को नजरअंदाज करते हैं, भविष्य में राजनीतिक रणनीतियों के प्रति चिंता का विषय हैं।
समुदाय के सदस्यों का मानना है कि उन्हें अपनी संस्कृति और मूल्यों के प्रति सम्मान की आवाज उठाने की आवश्यकता है। कनाडा में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन समुदायों की एकजुटता से उन्हें अपने अधिकारों और पहचान के प्रति जागरूक रहना होगा।
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