कर्नाटक के कोप्पल जिले की एक अदालत ने वंचित समाज की बस्ती में आग लगाने के मामले में 101 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला राज्य के इतिहास में जाति आधारित अत्याचार के एक मामले में अब तक का सबसे कठोर फैसला माना जा रहा है, जिसमें इतने बड़े पैमाने पर दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। यह घटना 28 अगस्त 2014 को गंगावती तालुका के मारकुंबी गांव में हुई थी, जब आरोपियों ने वंचित समाज के घरों में आग लगाकर उनके घरों और संपत्ति को नष्ट कर दिया था।
जातिगत भेदभाव की शुरुआत और हिंसा की वजह
इस जातिगत हिंसा की जड़ में मारकुंबी गांव में वंचित समाज के युवकों द्वारा छुआछूत के खिलाफ उठाई गई आवाज थी। गांव में नाई की दुकान और ढाबों में प्रवेश को लेकर वंचित समाज के लोगों और उच्च जाति के लोगों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ। युवकों की सक्रियता से नाराज होकर, आरोपियों ने बस्ती में घुसकर घरों को जलाया और वंचित समाज के लोगों पर हिंसक हमला किया।
अदालत का सख्त फैसला
गुरुवार को कोप्पल की अदालत ने इस मामले में 101 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जो राज्य के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय है। इस मामले में कुल 117 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 16 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। सजा सुनाने के बाद, सभी दोषियों को कोप्पल जिला जेल भेजा गया, जहां से उन्हें बल्लारी जेल स्थानांतरित किया जाएगा। दोषियों के परिवारजन अदालत परिसर में भावुक नजर आए और पुलिस द्वारा जेल ले जाते समय उनकी आंखों में आंसू थे।
राज्यभर में विरोध प्रदर्शन
इस घटना के बाद राज्य के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिससे पूरे राज्य में जातिगत भेदभाव और हिंसा के खिलाफ आक्रोश फैल गया था। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में कड़ी कार्यवाही की मांग की थी और अंततः अदालत ने सभी दोषियों को कठोरतम सजा दी।
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