जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं की बाढ़ एक बार फिर देखने को मिल रही है। उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नागरिक सरकार के सत्ता में आने के बाद, आतंकी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी देखी गई है। पिछले 8 दिनों में घाटी में तीन बार गैर-स्थानीय मजदूरों पर हमले हुए हैं, जिसमें 9 लोगों की मौत हो चुकी है।
गगनगीर में आतंकी हमला : डॉक्टर समेत 7 की मौत
रविवार रात को गांदरबल जिले के गगनगीर इलाके में एक आतंकी हमला हुआ, जिसमें एक डॉक्टर समेत सात गैर-स्थानीय मजदूरों की जान चली गई। ये मजदूर केंद्र सरकार की योजना के तहत सुरंग निर्माण के कार्य में लगे थे, जब आतंकियों ने अचानक हमला किया। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की शाखा दी रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। इस हमले में 5 अन्य लोग घायल हुए हैं, जिनका इलाज श्रीनगर और स्थानीय अस्पताल में चल रहा है।
गुलमर्ग में सेना के काफिले पर हमला
उत्तरी कश्मीर के गुलमर्ग सब-सेक्टर के बूटापथरी इलाके में भी आतंकियों ने सेना के काफिले पर हमला किया। इस हमले में एक नागरिक कुली की मौत हो गई, जबकि 5 जवान घायल हो गए। इससे पहले, पुलवामा जिले के त्राल इलाके में उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक मजदूर शुभम कुमार को आतंकियों ने गोली मारकर घायल कर दिया।
टारगेट किलिंग से घाटी में डर का माहौल
18 अक्टूबर को शोपियां जिले में बिहार के रहने वाले अशोक कुमार चव्हाण की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह घटना उमर अब्दुल्ला के सत्ता में आने के बाद पहली टारगेट किलिंग थी। उमर अब्दुल्ला का चुनाव क्षेत्र गांदरबल भी आतंकियों के निशाने पर है, जहां मजदूरों पर हमला हुआ।
केंद्र सरकार के शासन में आई थी कमी
विशेषज्ञों के मुताबिक, जब जम्मू-कश्मीर में केंद्र का शासन था, तब आतंकवादी घटनाओं में काफी कमी आई थी। उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने के बाद से आतंकी गतिविधियों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। घाटी में आतंकियों का निशाना विशेष रूप से गैर-स्थानीय मजदूर बन रहे हैं, जिससे सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
घाटी में बढ़ती आतंकी गतिविधियों पर सवाल
उमर अब्दुल्ला की सरकार को इन हमलों के बाद कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं की बढ़ती संख्या ने सुरक्षा एजेंसियों और आम नागरिकों के बीच चिंता का माहौल बना दिया है।
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