इजराइल शब्द का उल्लेख सबसे पहले बाइबिल में मिलता है। बाइबिल के अनुसार, इज़राइल का अर्थ है “वह जो ईश्वर से संघर्ष करता है या जीतता है।” यह नाम प्राचीन यहूदी मत के प्रमुख पात्र याकूब को दिया गया था। याकूब, जिन्हें यहूदी मत का पितृपुरुष माना जाता है, ने एक स्वर्गदूत के साथ मुठभेड़ की और उस संघर्ष में विजय प्राप्त की। इस जीत के उपलक्ष्य में, याकूब का नाम बदलकर इजराइल रखा गया, जो उनके संघर्ष और उनकी दृढ़ता का प्रतीक बन गया।
1948 में,इजराइल एक राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ, जिसका नाम प्राचीन बाइबिल से लिया गया। इस देश का आधिकारिक नाम “स्टेट ऑफ़ इजराइल” है। इज़राइल का गठन एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी, जिसने यहूदियों की हजारों सालों की प्रवास और उत्पीड़न के बाद उन्हें एक सुरक्षित और स्वतंत्र राष्ट्र प्रदान किया।
जनसंख्या और पहचान
इजराइल की 74% जनसंख्या यहूदी मत का पालन करती है, जो देश की पहचान का मुख्य आधार है। यहूदी धर्म केवल एक धार्मिक विश्वास नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक भी है। इजराइल शब्द यहूदियों की राष्ट्रीय और धार्मिक पहचान को दर्शाता है, जिसे यहूदी धर्म में विशेष सम्मान प्राप्त है। यह नाम यहूदियों के संघर्ष, इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन गया है।
आज इजराइल को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में देखा जाता है, जो तकनीकी, विज्ञान और कृषि में वैश्विक स्तर पर अग्रणी है। इजराइल की अत्याधुनिक तकनीकी नवाचार और विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धियों ने इसे विश्व मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। यहाँ की कृषि प्रणाली, विशेषकर सूखी भूमि में जल संसाधनों का कुशल उपयोग, एक अद्वितीय मॉडल है।
इस प्रकार, इजराइल केवल एक भौगोलिक स्थान नहीं है, बल्कि यह एक गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है। यह नाम और देश आज भी विश्व में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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