बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आज अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने हत्या और मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामलों में गिरफ्तारी वारंट जारी किया। यह वारंट न्यायाधिकरण द्वारा औपचारिक रूप से कार्यवाही शुरू किए जाने के बाद जारी किया गया। अदालत ने 18 नवंबर तक शेख हसीना को पेश होने का आदेश दिया है। शेख हसीना, जो कि पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद और देश छोड़कर चली गई थीं, अब इन मामलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्यायिक जांच के दायरे में आ गई हैं।
शेख हसीना और अवामी लीग के नेताओं पर आरोप
शेख हसीना पर उनके 15 साल लंबे शासनकाल के दौरान मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों के आरोप हैं। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने जबरन लोगों को निशाना बनाया और उनके खिलाफ हिंसक कार्रवाई की। जुलाई और अगस्त में बांग्लादेश में हुए भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान हुई सामूहिक हत्याओं में शेख हसीना और उनके सहयोगियों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।
ढाका ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, इस मामले में न्यायिक कार्यवाही आज सुबह 11:30 बजे शुरू हुई। न्यायाधिकरण की अध्यक्षता जस्टिस एमडी गोलाम मुर्तुजा मजूमदार की पीठ कर रही थी। अभियोजन टीम ने हसीना सहित 50 व्यक्तियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अनुरोध किया था। इस मामले में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के अन्य 14 नेताओं, पत्रकारों, और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पूर्व शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ भी शिकायतें दर्ज हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच और प्रत्यर्पण प्रक्रिया
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के मुख्य अभियोजक एडवोकेट ताजुल इस्लाम ने इस मामले में इंटरपोल की मदद से शेख हसीना और अन्य भगोड़ों को वापस लाने की प्रक्रिया पर जोर दिया है। उन्होंने पहले ही जानकारी दी थी कि इस सप्ताह सामूहिक हत्याओं के आरोपितों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट और यात्रा प्रतिबंध की मांग की जाएगी।
इंकार कर सकता है भारत
भारत और बांग्लादेश के बीच हुए प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, दोनों देशों में दंडनीय अपराध करने वाले व्यक्ति को प्रत्यर्पित किया जा सकता है। शेख हसीना पर लगे नरसंहार, हत्या और मानवाधिकार हनन के आरोपों के तहत उन्हें वापस बांग्लादेश लाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। हालाँकि, इस प्रक्रिया के दौरान अंतरराष्ट्रीय नियमों और संधि के अनुच्छेद 6 के तहत राजनीतिक प्रकृति के मामलों में प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है।
मानवाधिकार उल्लंघन और सामूहिक हत्याओं के आरोप
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने शेख हसीना और उनके सहयोगियों पर जुलाई और अगस्त में छात्र आंदोलन के दौरान सामूहिक हत्याओं का गंभीर आरोप है। इसके साथ ही मानवाधिकार हनन के कई मामलों में भी उनके खिलाफ जांच चल रही है। हसीना पर आरोप है कि उन्होंने अपने शासनकाल में सरकार विरोधी आंदोलनों को कुचलने के लिए हिंसक और दमनकारी कदम उठाए, जिससे मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ।
राजनैतिक इशारों पर चल रहा पूरा खेल
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना के खिलाफ मानवाधिकार हनन के मामलों में जांच तेज कर दी है और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के माध्यम से उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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