नई दिल्ली । कनाडा और भारत के बीच बढ़ते कूटनीतिक तनाव के बीच कनाडा के एक प्रमुख बिजनेसमैन आदित्य झा ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी रुख को तीखी आलोचना का सामना किया है। आदित्य झा, जो कनाडा के शीर्ष सम्मान “ऑर्डर ऑफ कनाडा” से सम्मानित हो चुके हैं, ने ट्रूडो की कूटनीति को “बचकाना” करार दिया और कहा कि इसे बेहतर ढंग से हैंडल किया जा सकता था। उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच का यह तनाव अरबों डॉलर के व्यापारिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
ट्रूडो के रवैये को बताया इमैच्योर
आदित्य झा ने ट्रूडो के रवैये को “इमैच्योर” बताया और कहा कि इस विवाद को शांतिपूर्ण और परिपक्वता के साथ हल किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे कनाडा के साझेदार देशों पर दबाव बनाकर यह मसला सुलझाया जा सकता था, लेकिन ट्रूडो की गैर-ज़िम्मेदाराना हरकतों ने दोनों देशों को आर्थिक रूप से बड़ा नुकसान पहुंचाया है। झा ने आगे कहा कि ट्रूडो की सरकार की इस हरकत से न केवल उनके देश की छवि को धक्का लगा है, बल्कि उनकी “इंडो-पैसिफिक स्ट्रेटजी” भी कमजोर हो गई है, जो भारत को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में देखती है।
खालिस्तान के मुद्दे पर उठाए सवाल
खालिस्तान के मुद्दे पर आदित्य झा ने कनाडा के फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर खालिस्तान समर्थकों को समर्थन देने की निंदा की। उन्होंने कहा कि भारत ने कई बार कनाडा से आतंकवादी गतिविधियों के लिए उसकी धरती के उपयोग को रोकने की अपील की है, लेकिन कनाडा की सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। झा ने आरोप लगाया कि खालिस्तानी तत्व कनाडा में आतंकवाद फैला रहे हैं और भारतीय उच्चायोग पर हमले की धमकियां भी दे रहे हैं, लेकिन कनाडाई सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
जगमीत सिंह और हरजीत सज्जन की आलोचना
आदित्य झा ने ट्रूडो की सहयोगी पार्टी एनडीपी के नेता जगमीत सिंह और कनाडाई कैबिनेट मंत्री हरजीत सज्जन की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि क्या उनमें इतनी हिम्मत है कि वह सार्वजनिक रूप से उन लोगों की निंदा कर सकें, जो कनाडा में भारतीय उच्चायोग के खिलाफ हिंसा की धमकी दे रहे हैं। झा ने कहा कि इन लोगों के इतिहास की जांच होनी चाहिए, क्योंकि इनमें से कई लोग मनी लॉन्ड्रिंग, आर्म्स ट्रेड, ड्रग ट्रैफिकिंग और गैंग वॉर जैसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं।
भारत-कनाडा संबंधों पर भारी प्रभाव
आदित्य झा ने चेतावनी दी कि अगर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस मसले को सुलझाने में जल्द कदम नहीं उठाते, तो इसका प्रभाव भारत-कनाडा के व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों पर नकारात्मक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रूडो की यह रणनीति कनाडा की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है और उसे वैश्विक मंचों पर गंभीरता से नहीं लिया जाएगा।
कनाडा को नुकसान और भारत की भूमिका
आदित्य झा का मानना है कि कनाडा, जो कि भारत को एक उभरते हुए रणनीतिक और आर्थिक साझेदार के रूप में देखता है, इस मसले को अपने कूटनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए संभाल सकता था। लेकिन ट्रूडो की नीतियों से कनाडा की इंडो-पैसिफिक स्ट्रेटजी को धक्का लगेगा, जो भारत के साथ संबंधों को और गहरा करने पर केंद्रित थी।
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