नई दिल्ली । विवादित इस्लामिक उपदेशक और भगोड़ा घोषित जाकिर नाइक की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने नाइक की याचिका के औचित्य को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट से इसे खारिज करने की मांग की है। नाइक ने अपनी याचिका में 2012 के गणपति उत्सव के दौरान दिए गए कथित आपत्तिजनक बयानों से संबंधित विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने तीखे सवाल उठाए हैं, जिसमें पूछा गया है कि क्या एक भगोड़ा संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस तरह की याचिका दायर कर सकता है?
नाइक पर लगाए गए गंभीर आरोप
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कोर्ट में दलील दी कि जाकिर नाइक एक भगोड़ा है और वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत कोई राहत प्राप्त करने का हकदार नहीं है। उन्होंने कहा, “जाकिर नाइक को एक भगोड़ा घोषित किया गया है, और वह अदालत के समक्ष आने के योग्य नहीं है।” मेहता ने याचिका में प्रक्रियागत खामियों की ओर भी इशारा किया, जिसमें नाइक के हस्ताक्षर गायब होने की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है।
भगोड़े के अधिकार पर सवाल
न्यायमूर्ति अभय एस ओका, जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने पूछा कि क्या एक भगोड़ा व्यक्ति, जिसे अदालत ने घोषित किया है, संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर कर सकता है? यह सवाल नाइक की याचिका की वैधता पर संदेह पैदा करता है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।
प्राथमिकियों को जोड़ने का अनुरोध
नाइक के वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ 43 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं, जिनमें से अब केवल छह मामले लंबित हैं। वकील ने कहा कि वे इन प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने के लिए अदालत का रुख कर रहे हैं और अगर सुप्रीम कोर्ट अनुमति दे, तो वे इसे वापस लेकर क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय में जा सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और वकील से मामले को लेकर स्पष्ट हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
जाकिर नाइक का नाम न सिर्फ आपत्तिजनक भाषणों में सामने आया है, बल्कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) भी उसकी कथित आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता की जांच कर रहा है। नाइक पर आतंकवाद को बढ़ावा देने, समाज में कट्टरपंथ फैलाने और भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करने के आरोप हैं। वह फिलहाल विदेश में रह रहा है, और भारतीय न्यायालयों के समक्ष पेश नहीं हो रहा है।
अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को
सुप्रीम कोर्ट ने नाइक के वकील से हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि वे इस याचिका को जारी रखेंगे या वापस लेंगे। मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी।
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