भुवनेश्वर । श्री जगन्नाथ मंदिर के बाहरी और भीतरी रत्न भंडार दोनों की स्थिति का आकलन करने और छिपे हुए कक्षों या सुरंगों के संभावित अस्तित्व की जांच करने के लिए किए गए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण रिपोर्ट अगले दो से चार दिनों में जारी होने की उम्मीद है।
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने जानकारी दी की कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा किए गए सर्वेक्षण से जल्द ही इसके निष्कर्ष सामने आएंगे। न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय रत्न भंडार समिति की मौजूदगी में विशेषज्ञ टीम ने 12वीं सदी के श्री जगन्नाथ मंदिर के ‘बाहार’ और ‘भीतर’ रत्न भंडार की दीवारों को स्कैन करने के लिए उन्नत उपकरणों का इस्तेमाल किया। मीडिया से बात करते हुए ओडिशा के कानून मंत्री हरिचंदन ने कहा, “ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण की रिपोर्ट अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। अगले दो से चार दिनों में इसके आने की उम्मीद है। राज्य सरकार रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर अगले कदम तय करेगी।”
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उन्होंने आगे कहा, “अगर रिपोर्ट में सोने, चांदी के आभूषणों या किसी छिपी हुई सुरंग की मौजूदगी का संकेत मिलता है, तो ओडिशा सरकार उचित कार्रवाई करेगी। इसके विपरीत, अगर कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं मिला, तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्य करेगा।”
मंत्री ने कहा, “आभूषणों की गिनती तभी होगी जब मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद खजाने के बक्से रत्न भंडार को वापस कर दिए जाएंगे।”
यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) 1974 से राज्य सरकार के निर्देशानुसार 12वीं सदी के श्री जगन्नाथ मंदिर की मरम्मत और संरक्षण के लिए जिम्मेदार है। अंतिम चरण में, सभी खजाने रत्न भंडार को वापस कर दिए जाएंगे, जहां एक नई सूची तैयार की जाएगी और 1978 की पिछली सूची से तुलना की जाएगी।
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उल्लेखनीय है कि पुरी श्रीमंदिर के रत्न भंडार में तकनीकी सर्वेक्षण का दूसरा चरण 22 सितंबर को तय समय से पहले पूरा हो गया था। यह चरण राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) द्वारा वैज्ञानिक आनंद कुमार पांडे के नेतृत्व में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके किया गया था। इससे पहले पुरी के जगन्नाथ मंदिर में रत्न भंडार के तकनीकी सर्वेक्षण का पहला चरण 18 सितंबर को हुआ था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने लेजर स्कैनर से विस्तृत मूल्यांकन करते हुए पहला चरण पूरा किया था।
इससे पहले मंदिर प्रशासन ने रत्न भंडार के बाहरी और भीतरी कक्षों से सभी कीमती सामान और आभूषणों को निकालकर मंदिर परिसर में ही एक अस्थायी स्ट्रांग रूम में रख दिया था।
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