तिरुपति लड्डू विवाद के बीच आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने सनातन धर्म रक्षण बोर्ड बनाने और प्रसादम को सुरक्षित बनाने की बात क्या की कि कथित सेक्युलर और विपक्षी भड़क गए। लेकिन, अब प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पवन कल्याण का बचाव किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पवन कल्याण के कार्य धार्मिक सद्भाव की रक्षा करने और मंदिरों के अनुष्ठानों की पवित्रता को बनाए रखने के लिए थे।
मुख्यमंत्री नायडू एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। वह कहते हैं कि जब मैंने सत्ता में वापसी की, तो मुझे इसके बारे में पता चला, जिसके बाद मैंने इन चिंताओं को दूर करने के लिए कई कदम उटाए। सीएम नायडू कहते हैं कि तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के प्रसाद में दिए जाने वाले लड्डू की क्वालिटी को सही करने के लिए सही लोगों को नियुक्त किया। इसके साथ ही NBL की मान्यता के लिए लड्डू के सैंपल्स को जांच के लिए भेजा।
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उन्होंने ये भी कहा कि इन सुधारों का उद्देश्य पवित्र लड्डुओं की गुणवत्ता को बहाल करना है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने तिरुपति लड्डू विवाद की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसआईटी गठित करने की तारीफ की और कहा कि यह हमारी सरकार के इरादे के अनुरूप है। उन्होंने इस बात को भी स्पष्ट किया कि अगर मैं चर्च जाता हूं, तो मुझे उनके रीति-रिवाजों और अगर आप मस्जिद जाते हैं तो उनके रीति रिवाजों का सम्मान करना चाहिए। इसी तरह जब भी कोई तिरुपतिजाता है तो उसकी परंपराओं और नियमों का पालन किया जाना चाहिए।
कैसे हुई इस मामले की शुरुआत
मामला कुछ ऐसा है कि हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने एक बयान दिया था कि पूर्व की जगन मोहन रेड्डी सरकार के दौरान तिरुमला स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए शुद्ध की जगह पशुओं की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था। इस बात का आरोप लगाते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली सरकार के दौरान तिरुमला लड्डू की गुणवत्ता बहुत ही घटिया हो गई थी। वो पूरी तरह से अपवित्र हो गया था।
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वो मंगलागिरी में आयोजित एनडीए की बैठक में जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी की मौजूदगी में बोल रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि YSRCP सरकार के दौरान तिरुमाला में न केवल भक्तों को अन्न प्रसादम के रूप में घटिया भोजन दिया, बल्कि भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को बनाने के लिए घटिया गुणवत्ता वाली सामग्री का भी इस्तेमाल किया जाता है।
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