दिल्ली । गोंडवाना की वीरांगना रानी दुर्गावती के 501वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में देशभर के जनजाति क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में दिल्ली में इंदिरा गांधी कला केंद्र एवं वनवासी कल्याण आश्रम के संयुक्त प्रयासों से एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसे ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अनोखा माना जा सकता है।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
कार्यक्रम की शुरुआत इंदिरा गांधी कला केंद्र के प्रो. के. अनिल कुमार के स्वागत प्रवचन से हुई, जिन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह का अभिनंदन किया। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ. निलीमा मरावी ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने ऐतिहासिक विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने अपने उद्बोधन में रानी दुर्गावती के जीवन, वीरता और उनके जनजातीय समाज में योगदान पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. मरावी ने कहा, “रानी दुर्गावती केवल गोंड समाज की धरोहर नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारत की एक अनमोल विरासत हैं।”
वनवासी कल्याण आश्रम के महामंत्री अजित शुक्ल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रानी दुर्गावती का जीवन और उनका संघर्ष वर्तमान समय में भी प्रेरणास्रोत है। इस दौरान दिल्ली प्रांत की महिला कार्य प्रमुख भारती वार्ष्णेय ने दुर्गाशक्ति का उल्लेख करते हुए महिला सशक्तिकरण और समाज में महिलाओं की महत्ता पर जोर दिया।
जनजातीय समाज के लिए गौरव का पल
वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अतुल जोग ने अपने उद्बोधन में जनजातीय समाज की वास्तविक स्थिति और उनके गौरवमयी अतीत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमें अपने इतिहास को स्मरण करना चाहिए और उसे आत्मसात करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।”
इस कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कला केंद्र द्वारा रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित एक विशेष फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। वनवासी कल्याण आश्रम की महिला समिति की सक्रियता के कारण इस आयोजन में महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
दिल्ली में जनजातीय गौरव का उत्सव
दिल्ली जैसे महानगर में इस प्रकार का आयोजन जनजातीय समाज के लिए एक गर्व का विषय है। इस आयोजन में वनवासी कल्याण आश्रम के प्रचार प्रमुख प्रमोद पेठकर, उत्तर क्षेत्र के सह-क्षेत्र संगठन मंत्री धनीराम, दिल्ली प्रदेश के उपाध्यक्ष रघुनंदन शर्मा सहित अनेक नगरजन उपस्थित रहे।
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