नई दिल्ली| पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व रीजनल डायरेक्टर (नॉर्थ) डॉ. केके मोहम्मद ने हाल ही में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान अपने करियर के अनुभव साझा किए। डॉ. मोहम्मद कई प्रमुख मंदिरों का पुरातात्विक सर्वेक्षण और विभिन्न इस्लामी स्मारकों का अध्ययन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि मुगलों के आगमन के दौरान कई हिंदू मंदिरों को नष्ट किया गया था। इसका प्रमाण कुतुब मीनार के पास आज भी देखा जा सकता है।
मंदिर हिंदुओं की विरासत
डॉ. मोहम्मद ने स्पष्ट किया कि मंदिर हिंदुओं की विरासत हैं और उन्हें वापस मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के मुसलमानों को मुगलों द्वारा किए गए बुरे व्यवहार का प्रायश्चित करना चाहिए। उनका मानना है कि जब मुसलमान मुगलों के समय की घटनाओं को प्रमाणित करने का प्रयास करते हैं तो यह उचित नहीं लगता।
अयोध्या राम मंदिर पर रिपोर्ट
डॉ. मोहम्मद ने बताया कि उन्हें अयोध्या राम मंदिर पर अपनी रिपोर्ट पेश करने के बाद तीन साल तक पुलिस सुरक्षा में रहना पड़ा। उन्होंने यह काम ASI के तत्कालीन DG प्रोफेसर बीबी लाल के अधीन किया गया था। रिपोर्ट देने के बाद उनके ऊपर कई खतरे थे, लेकिन उन्होंने अपने कार्य में कोई कमी नहीं आने दी।
मध्य प्रदेश में मंदिरों का जीर्णोद्धार
उन्होंने मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में 80 मंदिरों का जीर्णोद्धार किया था। इस कार्य के लिए उन्होंने स्थानीय डकैत निर्भय सिंह गुर्जर के साथ मिलकर काम किया। रिटायर होने के बाद भी वह इस कार्य में लगे हैं। मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए इंफोसिस अध्यक्ष की पत्नी सुधा मुर्ति के द्वारा 4 करोड़ का फंड दिया गया था।
पद्मश्री पुरस्कार और आलोचनाएं
2019 में डॉ. मोहम्मद को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लेकिन इस पर भी विवाद उठे कि यह पुरस्कार राम मंदिर पर उनकी प्रक्रिया के कारण मिला। उन्होंने कहा कि मुरैना में किए गए काम के लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
ASI की स्थिति पर चिंता
डॉ. मोहम्मद ने ASI की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया अपने कार्यों को अच्छे ढंग से आगे नहीं बढ़ा पा रहा है। उन्होंने अपनी पुस्तक “एन इंडियन आयाम” में इस मुद्दे पर विस्तार से लिखा है।
कुशीनगर का निरीक्षण
डॉ. मोहम्मद ने गीता प्रेस के संबंध में कहा कि इस संस्था ने हिंदू पुनर्धार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह एक ऐसी संस्था है जो बिना डोनेशन के एक राष्ट्रव्यापी अभियान को 100 वर्षों से सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही है। साथ ही, उन्होंने कुशीनगर में बाढ़ और जलभराव की समस्या के चलते इस क्षेत्र के अस्तित्व को खतरा होने की चेतावनी दी। उन्होंने सरकार से इसे बचाने के उपाय करने की अपील की है।
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