जापान और चीन में विवाद तो पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में अक्सर होता ही रहा है, लेकिन अब पूर्वी एशिया में तनाव एक बार फिर से उस वक्त बढ़ गया जब जापान के फाइटर्स एयरक्राफ्ट ने रूस के टोही विमान को हवाई क्षेत्र से बाहर जाने की चेतावनी देने के लिए फ्लेयर्स का इस्तेमाल किया।
इस घटना को लेकर जानकारी देते हुए जापानी रक्षा मंत्री मिनोरू किहारा ने आरोप लगाया कि रूसी विमान को रेडियो के जरिए उन्होंने चेतावनी दी थी, लेकिन, रूसी विमान ने उसे अनदेखा कर दिया। इसके बाद F-15 और F-35 युद्धक विमानों को उड़ाया गया और फ्लेयर्स दागे गए। किहारा ने कहा कि रूसी IL-38 के रूसी विमान ने देश के सबसे उत्तरी मुख्य द्वीप होक्काइडो के तट से कुछ दूर स्थित रेबुन द्वीप के आसमान में जापानी एयर स्पेस का उल्लंघन किया।
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उन्होंने दावा किया कि उस क्षेत्र में रूसी विमान करीब 5 घंटे तक उड़ा, लेकिन इस दौरान उसने 3 बार जापानी क्षेत्र का उल्लंघन किया। इस बीच जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने सरकारी अधिकारियों से घटना पर ‘दृढ़ता और शांति से’ प्रतिक्रिया करते हुए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने के लिए निर्देश दिया गया है।
जापान के मुख्य सचिव योशिमासा हयाशी का कहना है कि हम इस कार्रवाई के इरादे और इस उद्देश्य के बारे में किसी भी तरह की जानकारी देने से बचेंगे। जापान का दावा है कि यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद से हमारे देश के आसपास सक्रिय रही है। किहारा ने कहा कि हवाई क्षेत्र का उल्लंघन अत्यंत खेदजनक है। जापान ने कहा कि जापान ने कहा कि राजनयिक माध्यमों से रूस के समक्ष ‘कड़ा विरोध’ जताया और निवारक उपायों की मांग की।
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जापान की सेना ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि उसने अप्रैल 2023 और मार्च 2024 के बीच करीब 669 बार फाइटर जेट्स को उड़ाया, जिनमें करीब 70 प्रतिशत चीनी सैन्य विमानों के खिलाफ उड़ानें थीं। उल्लेखनीय है कि जापान और रूस के बीच एक द्वीप समूह को लेकर विवाद है।
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