गत 3 सितंबर को कासगंज (उ.प्र.) में न्यायालय गेट से अपहरण के बाद अधिवक्ता मोहिनी तोमर की हत्या कर दी गई। उनके शव को नहर किनारे जंगल में फेंक दिया गया। इस हत्या के बाद पूरे प्रदेश में गुस्से का गुबार फूट पड़ा। शहर-दर-शहर आक्रोशित अधिवक्ता सड़कों पर उतर आए। गुस्साए हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों ने भी जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया। मोहिनी तोमर की हत्या के मामले में उनके परिवार ने मुस्तफा कामिल, असद मुस्तफा, हैदर मुस्तफा, सलमान, मुनाजिर रफी सहित छह लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। इनमें मुस्तफा कामिल और उसके बेटे असद, हैदर, सलमान भी वकील हैं। ये लोग दंगा पीड़ितों की मदद करने के कारण मोहिनी तोमर के दुश्मन बन गए थे। हालांकि कासगंज पुलिस ने सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
इनमें मुनाजिर रफी 15 अगस्त, 2018 को कासगंज शहर में हुए दंगे में शामिल था। उसे कट्टरपंथी मुस्तफा कामिल गुट का संरक्षण हासिल था। मोहिनी तोमर के पति ब्रजेन्द्र तोमर के अनुसार, ‘‘उनकी पत्नी छह साल पहले मुसलमान दंगाइयों के हमले में मारे गए हिंदू युवा चंदन गुप्ता के परिवार को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रही थीं। उन्होंने मुनाजिर रफी की जमानत का पुरजोर विरोध किया था। इस वजह से मुस्लिम कट्टरपंथी उनसे रंजिश मान बैठे थे। मोहिनी हिंदू हित से जुड़े मामलों में मुखर होकर कानूनी लड़ाई लड़ती थीं। इसलिए कट्टरपंथियों ने उन्हें रास्ते से हटाने का षड्यंत्र रचा।’’
चंदन गुप्ता की हत्या
कासगंज शहर के रहने वाले चंदन गुप्ता की 2018 में तिरंगा यात्रा के दौरान हत्या कर दी गई थी। चंदन सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे और जरूरतमंदों के लिए रक्तदान भी किया करते थे। चंदन गुप्ता जब हाथों में तिरंगा लेकर गलियों में रैली निकाल रहे थे, तभी मुस्लिम बहुल इलाके में उन पर हमला कर दिया गया। दंगाइयों ने गोली मारकर उनकी जान ले ली। चंदन का परिवार अब तक न्याय के लिए लड़ रहा है। इस संघर्ष में मोहिनी तोमर चंदन के परिवार का साथ निभा रही थीं। यह उन दंगाइयों कोे पसंद नहीं था। इसलिए उन लोगों ने उनकी हत्या कर दी।
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