प्रयागराज जनपद के जामिया हबीबिया मस्जिद-ए-आजम मदरसे में सौ-सौ रुपए के नकली नोट और उसे छापने के उपकरण बरामद हुए। उसके बाद मौलवी के कमरे से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरुद्ध जहर घोलने वाली किताब भी बरामद हुई। यह भी पता लगा है कि मदरसे का मौलाना वहां पर पढ़ने वाले मुस्लिम छात्रों में भारत विरोधी भावनाएं भर रहा था।
छापे जा रहे थे नकली नोट
प्रयागराज जनपद में पुलिस को यह सूचना मिली कि अतरसुइया थाना अंतर्गत जामिया हबीबिया मस्जिद-ए-आजम मदरसे में नकली नोटों की छपाई की जा रही है। गत 28 अगस्त को मोहम्मद अफजल और मोहम्मद शाहिद नाम के दो युवकों को गिरफ्तार किया गया। इन दोनों के कब्जे से सौ – सौ रुपए की दो गड्डियां बरामद हुईं। जांच करने पर पाया गया कि वे नकली नोटों की गड्डियां थीं। उसके बाद पुलिस दोनों युवकों को थाने ले आई। दोनों से पूछताछ के बाद पता लगा कि जामिया हबीबिया मस्जिद-ए-आजम मदरसे में नकली नोट बनाने का अवैध कारोबार किया जा रहा है। पुलिस ने इन दोनों अभियुक्तों के बताए हुए ठिकाने पर छापा मारा। प्रयागराज कमिश्नरेट की पुलिस ने मदरसे के मौलवी मोहम्मद तफ़्सीरुल आरिफीन और जाहिर खान उर्फ अब्दुल जाहिर को गिरफ्तार कर लिया। मौलवी मोहम्मद तफ़्सीरुल आरिफीन, गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर सुनियोजित तरीके से सौ – सौ रुपए के नकली नोट छाप रहा था। पुलिस ने अभियुक्तों के कब्जे से एक लाख तीस हजार रुपए के नकली नोट बरामद किये हैं।
तीन माह से हो रहा था कारोबार
मदरसे में जब छापा मारा गया तब वहां से लैपटॉप, स्कैनर, प्रिंटर, अर्ध निर्मित नोट और 234 पेज बरामद किए गए। आरोपी 15 हजार रुपए लेकर 45 हजार मूल्य के नकली नोट बाजार में बेच रहे थे। डीसीपी नगर दीपक भूकर ने बताया, ‘पिछले 3 महीने से यह अवैध कार्य किया जा रहा था। अफजल और शाहिद प्रयागराज जनपद के करैली थाना क्षेत्र के निवासी हैं। वहीं मोहम्मद जाहिर और मौलाना तफ़्सीरुल दोनों ओडिशा राज्य के रहने वाले हैं। मौलवी मोहम्मद तफ़्सीरुल आरिफीन पिछले कई वर्ष से प्रयागराज जनपद के अतरसुइया स्थित मदरसे में रह रहा था और प्रयागराज जनपद के खुल्दाबाद और करैली आदि क्षेत्रों में नकली नोट बेचने के धंधे में शामिल था।’ पूछताछ के दौरान मौलवी ने पुलिस को बताया, ‘‘उसने जाहिर को कमरा किराए पर दिया था। जबकि जाहिर ने पुलिस को बताया कि नकली नोट के धंधे में मौलवी भी शामिल था। जो भी कमाई होती थी, उसमें मौलवी का भी हिस्सा रहता था।’’
छह साल से पढ़ा रहा था मौलवी
औसतन इस मदरसे से प्रति वर्ष 105 मुस्लिम छात्र पढ़कर निकलते हैं। मौलवी आरिफीन करीब 6 साल से मदरसे में पढ़ा रहा था। इस हिसाब से उसने करीब 630 मुस्लिम छात्रों को पढ़ाया है। इन सभी 630 छात्रों को एटीएस और आईबी तलाश रही है। अलग – अलग राज्यों में रहने वाले इन छात्रों से सम्पर्क करके यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि वे इस समय जीविकोपार्जन के लिए किस तरह का कार्य कर रहे हैं। नकली नोट और नफरत के सौदागर तफ़्सीरुल आरिफीन का पिता आशिकुल रहमान इस मदरसे का प्रधानाचार्य था। उसने तफ़्सीरुल आरिफीन को इसी मदरसे में पढ़ाया था। उसके बाद इसी मदरसे में शिक्षक बनवा दिया। आशिकुल रहमान की मृत्यु के बाद तफ़्सीरुल आरिफीन मदरसे का कार्यवाहक प्रधानाचार्य बन गया था।
अवैध है मदरसा
प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने इस मदरसे को सील कर दिया है। मदरसे में रहने वाले करीब 70 छात्रों और कमेटी के लोगों को बाहर कर दिया गया है। प्राधिकरण ने मदरसे का संचालन करने वाली कमेटी को नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा गया है, ‘मदरसे का नक्शा स्वीकृत नहीं कराया गया है। करीब डेढ़ बीघे में मदरसे का निर्माण अवैध पाया गया है। बगैर नक्शा स्वीकृत कराए मदरसे की तीन मंजिला इमारत अवैध ढंग से बनाई गई है।’ उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मंत्री ओम प्रकाश राजभर कहते हैं, ‘सौ प्रतिशत ऐसे मदरसे पर कार्रवाई की जायेगी। मजहबी शिक्षा देने के नाम पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।’
विदेश से हो रही थी फंडिंग
यह मदरसा करीब 80 वर्ष पुराना है। धीरे – धीरे इसका दायरा बढ़ता गया। मदरसे के बारे में जब गहनता से जांच की गई तो यह भी पता लगा कि मदरसे को तुर्की, सऊदी अरब और दुबई से आर्थिक मदद दी जा रही थी। इन देशों से प्रति वर्ष लगभग 48 लाख रुपए यहां भेजे जा रहे थे। पुलिस सभी अभियुक्तों के बैंक अकाउंट को खंगाल रही है। सोशल मीडिया पर किस प्रकार के लोगों से इनका सम्पर्क था, इस बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। मदरसे में छापे गए नकली नोट कहां – कहां पर खपाए गए थे, इसका पता लगाने के लिए स्थानीय अभिसूचना इकाई और इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी सक्रिय हैं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि प्रयागराज जनपद के बाहर किन – किन जनपदों में नकली नोटों की आपूर्ति की गई थी। पुलिस का कहना है, ‘‘मौलवी तफ़्सीरुल आरिफीन ने वर्ष 2025 में लगने वाले महाकुम्भ में बड़े पैमाने पर नकली नोटों को खपाने का षड्यंत्र रचा था। उसे यह मालूम था कि महाकुम्भ में करोड़ों लोग प्रयागराज में आने वाले हैं। महाकुंभ को ध्यान में रखते हुए वह काफी मात्रा में नकली नोट छापने की तैयारी में था।’’
पुलिस ने खोजबीन में मदरसे में मौलवी के कमरे की तलाशी में कई आपतिजनक पुस्तकें बरामद कीं हैं। इस दौरान रा.स्व. संघ. के खिलाफ जहर उगलने वाली एक किताब बरामद की गई। इस किताब में लेखक के तौर पर एम. एस. मुशर्रफ का नाम लिखा है, जो महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व आईजी हैं। प्रकाशित सामग्री उर्दू में है इसलिए पुलिस उसका अनुवाद करा रही है।
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