देश में अपराध की संख्या बहुत ही चिंताजनक है। इसमें भी केरल में इसकी संख्या बहुत अधिक गंभीर है। दक्षिणी राज्य में आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक तरीके से वृद्धि हुई है। केरल में आत्महत्या करने वालों में पुरुष सबसे आगे हैं।
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केरल स्टेट क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार, केरल में आत्महत्या के मामले में पुरुषों और महिलाओं के बीच का अनुपात 80:20 है। राज्य में रिपोर्ट की गई आत्महत्याओं की संख्या 2022 में 8490 से बढ़कर 2023 में 10,972 हो गई, जिसमें पुरुषों की हिस्सेदारी 8811 है। इन आत्मत्याओं के पीछे का सबसे बड़ा कारण पारिवारिक मुद्दे रहे हैं। इन आंकड़ों पर नजर डालने से पता चला है कि आत्महत्या करने वालों में 56% लोग 45 वर्ष से अधिक उम्र के थे। खास बात ये रही कि आत्महत्या करने वाले लोगों में 76.6 फीसदी लोग विवाहित थे।
वरिष्ठ सलाहकार मनोवैज्ञानिक डॉ पी एन सुरेश कुमार कहते हैं कि 45 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष सबसे अधिक असुरक्षित हैं, जिसमें कि पारिवारिक संघर्ष महत्वपूर्ण तनावों के कारक बने हुए हैं। मनोवैज्ञानिक सुरेश कुमार बताते हैं कि केरल बहुत ही खतरनाक हालातों का सामना करना पड़ रहा है। NCRB के रिकॉर्ड के मुताबिक, 2022 राष्ट्रीय आत्महत्या दर प्रति 100,000 लोगों पर 13 थी, जबकि केरल में यह संख्या 28.81 थी। यह राज्य के लिए तत्काल निवारक उपाय अपनाने की चेतावनी दी है। हालांकि, पश्चिमी देशों में अविवाहित व्यक्तियों में आत्महत्याएं आम थे।
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डॉ सुरेश कहते हैं कि केरल में आत्महत्या करने वाले 45 वर्ष का आयु से अधिक के पुरुष हैं, जिन लोगों को अक्सर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। इसके पीछे का कारण ये माना जा रहा है कि पुरुषों को विवाहित होने के कारण पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ता है, जिसके कारण ये अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं। परिवारों में होने वाला संघर्ष आत्महत्याओं का महत्वपूर्ण कारण है।
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