नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य सरकार अगले साल अप्रैल-मई तक जनसांख्यिकीय परिवर्तनों पर एक श्वेत पत्र जारी करेगी। इसमें मुस्लिम आबादी की वृद्धि और हिंदुओं की संख्या में कमी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जिससे राज्य के लोगों को इन चुनौतियों का एहसास हो सके।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “हम एक व्यापक श्वेत पत्र ला रहे हैं। इसमें दिखाया जाएगा कि कैसे हिंदू बहुल क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, फिर भी वहां पूर्ण सांप्रदायिक सद्भाव बना हुआ है। उदाहरण के लिए किसी हिंदू मतदान केंद्र में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, लेकिन हिंदू इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। वे शांतिपूर्वक रह रहे हैं। दूसरी तरफ विपरीत स्थिति हो रही है।“
सरमा ने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण सकारात्मक है और किसी भी धर्म के प्रति कोई बुराई नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि श्वेत पत्र में दिलचस्प और चौंकाने वाले तथ्य होंगे। उन्होंने कहा, “असम के 28,000 मतदान केंद्रों में से 19,000 में जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो चुके हैं।“
मुख्यमंत्री ने कहा, “मैने विधानसभा में अपील की थी कि हमें आज मौजूद लोगों की रक्षा करनी चाहिए ताकि वे अपने गांव से दूसरे गांव में पलायन न करें। उन्हें अपनी भूमि पर रहने दिया जाए।“ उन्होंने कांग्रेस से इस मुद्दे पर राजनीति न करने और सभी से एकजुट होकर लड़ने की अपील की।
इससे पहले सरमा ने कहा था कि वह ‘मिया’ मुस्लिमों को असम पर हावी नहीं होने देंगे। जिस पर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई थी। हाल ही में हुई बलात्कार की घटना के बीच कानून-व्यवस्था की चिंताओं पर बात करते हुए सरमा ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर शून्य सहिष्णुता नीति अपनाने और कठोर कार्रवाई का वादा किया।
इसके अलावा असम सरकार ने मुस्लिम विवाह और तलाक के अनिवार्य पंजीकरण पर एक विधेयक पेश किया है। इसका उद्देश्य बाल विवाह और बहुविवाह पर अंकुश लगाना है। यह कानून महिलाओं के भरण-पोषण, विरासत, और निवास के अधिकारों को सुनिश्चित करेगा। यह नया कानून 1935 के पुराने कानून को प्रतिस्थापित करेगा।
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