कोलकाता । पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुई घटनाओं ने सरकार की पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। न्याय की मांग कर रहे निहत्थे छात्रों पर ममता बनर्जी की पुलिस ने अत्यधिक बल प्रयोग किया है, जिसमें बैरिकेड्स, लाठीचार्ज, पानी की बौछारें और आंसू गैस का इस्तेमाल शामिल है। इसके साथ ही, कई छात्रों पर FIR भी दर्ज की गई है।
यह घटना तब सामने आई जब छात्र अपने अधिकारों और न्याय की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार और पुलिस की कार्रवाई ने इस प्रदर्शन को न केवल दमनकारी बल्कि अत्यंत शर्मनाक कर दिया है। पुलिस की इस बर्बरता ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राज्य की पुलिस बलात्कार और हत्याओं जैसी गंभीर घटनाओं को रोकने में सक्षम है, जब कि निहत्थे छात्रों पर बल प्रयोग करने में पूरी तरह सक्षम नजर आती है।
राज्य सरकार की ओर से ऐसी कार्रवाई की आलोचना करते हुए, कई मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे अत्यंत दुखद और शर्मनाक बताया है। उनका कहना है कि इस तरह की पुलिस कार्रवाई न केवल लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि सरकार अपने नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर कितनी संवेदनशील है।
सोशल मीडिया पर इस मामले में पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई की व्यापक आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता न्याय की बजाय विरोधियों को दबाने में है, जिससे समाज में एक गंभीर असंतोष और गहरा असंतोष उत्पन्न हो रहा है।
वहीं इस स्थिति को देखते हुए, कई विशेषज्ञ और नागरिक समाज के नेता यह मानते हैं कि इस दमनकारी पुलिस कार्रवाई को तुरंत रोकने की आवश्यकता है और सरकार को अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
वहीं अब राज्य में व्याप्त इस तनाव और असंतोष के बीच, यह देखना होगा कि क्या सरकार अपनी नीतियों और पुलिस व्यवस्था में सुधार करती है, या फिर यह विवाद और भी बढ़ता है।
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