यह कोई छुपा तथ्य नहीं है कि जमाते इस्लामी बांग्लादेश में पाकिस्तान के मजहबी उन्मादियों की कठपुतली की तरह है। हसीना के विरुद्ध माहौल खड़ा करके बांग्लादेश में अराजकता फैलाना और एक कट्टरपंथी सरकार लाना ही पाकिस्तान का षड्यंत्र था। जमाते इस्लामी के माध्यम से पाकिस्तान के षड्यंत्रकारियों ने उसकी छात्र इकाई को प्रदर्शनों में उतारकर तोड़फोड़ मचवाई।
इस्लामी बांग्लादेश में नई बनी अंतरिम सरकार जिस ‘काम’ के लिए बनाई गई है उस पर उसने अमल करना शुरू कर दिया है। यूनुस सरकार उस जमाते इस्लामी से प्रतिबंध हटाने की घोषणा करने वाली है जिसे मजहबी उन्माद भड़काने पर पूर्ववर्ती हसीना सरकार द्वारा अभी 1 अगस्त, 2024 को ही प्रतिबंधित किया गया था। इसी के साथ, जमात की छात्र इकाई ‘छात्र शिबिर’ पर भी पाबंदी लगाई गई थी। आतताई ‘रजाकारों’ का वर्तमान स्वरूप मानी जाने वाली इसी जमाते इस्लामी ने पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के कथित इशारे पर हसीना सरकार के विरुद्ध विद्रोह को हवा दी थी।
यह कोई छुपा तथ्य नहीं है कि जमाते इस्लामी बांग्लादेश में पाकिस्तान के मजहबी उन्मादियों की कठपुतली की तरह है। हसीना के विरुद्ध माहौल खड़ा करके बांग्लादेश में अराजकता फैलाना और एक ऐसी कट्टरपंथी सरकार लाना ही पाकिस्तान का षड्यंत्र था। जमाते इस्लामी के माध्यम से पाकिस्तान के षड्यंत्रकारियों ने उसकी छात्र इकाई को प्रदर्शनों में उतारकर तोड़फोड़ मचवाई। पाकिस्तान का आखिरी इरादा संभवत: वहां कट्टरपंथी और आपस में गलबहियां डाले रहने वालीं बीएनपी और जमाते इस्लामी की हुकूमत स्थापित करना है।
यूनुस की अंतरिम सरकार भी ‘क्रांतिकारी’ छात्रों, जमाते-इस्लामी, बीएनपी और मुल्ला—मौलवियों का जुगाड़ा शगूफा मानी जाती है। इसलिए जमात से पाबंदी हटने की घोषणा तो बस औपचारिकता मात्र होगी, उसके कट्टरपंथी तत्व तो पहले से ही सक्रिय हो चुके हैं। शेख हसीना सरकार को अपदस्थ करने में जमाते इस्लामी ने जो शैतानी भूमिका निभाई, यूनुस सरकार उसे उसी का पारितोषिक ही दे रही है।
जमाते इस्लामी के कारिंदों की अब इतनी हिम्मत हो चली है कि खुद प्रेस को बता रहे हैं कि उनके दल से पाबंदी हटाने का फैसला अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस तथा ’क्रांतिकारी’ छात्र नेताओं के बीच बातचीत के बाद लिया गया है। हसीना के देश से चले जाने पर सेना अध्यक्ष ने देश के शेष सभी बड़े राजनीतिक दलों को बातचीत के लिए बुलाया था, तब उस बैठक में जमाते-इस्लामी भी गई थी।
यह वही जमाते इस्लामी बांग्लादेश है जो हमेशा से हिंदुओं की विरोधी रही है और उनके विरुद्ध हिंसा फैलाती रही है। 5 अगस्त के बाद से बांग्लादेश में हुई हिन्दू विरोधी हिंसा में मुख्य हाथ इसी जमाते इस्लामी का बताया जाता है। 2001 में भी जमाते इस्लामी ने हिंदुओं पर जबरदस्त कहर बरपाया था।
बांग्लादेश गठन की 1971 की लड़ाई में यही जमाते इस्लामी पाकिस्तान के पाले में खड़ी थी। इसने मुक्ति बाहिनी और भारतीय सेना के विरुद्ध षड्यंत्र रचे थे। बांग्लादेश में राजनीतिक गलियारों में जमाते इस्लामी कट्टरपंथी आयाम जोड़ने वाली पार्टी रही है और इसकी पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी के साथ निकटता जगजाहिर है।
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