भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने हाल ही में चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशनों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि इन दोनों मिशनों के डिज़ाइन तैयार कर लिए गए हैं और अब इन्हें सरकार से मंजूरी मिलने का इंतजार है।
चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद, इसरो अब अपने अगले मिशनों की ओर बढ़ रहा है। सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। उन्होंने कहा, चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, और अब हमारी नजरें चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 पर टिकी हैं। दोनों मिशनों के डिज़ाइन तैयार हैं और उन्हें सरकार की मंजूरी का इंतजार है।
2028 में पहला मॉड्यूल लॉन्च
इसरो प्रमुख ने एक और बड़ा ऐलान किया कि संगठन एक नया अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की योजना पर भी काम कर रहा है। इस स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे, जिनमें से पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाएगा। इसका डिज़ाइन भी तैयार कर लिया गया है और इसे सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया है।
चंद्रमा पर पहला भारतीय कदम 2040 तक का लक्ष्य
इसरो प्रमुख से पूछा गया कि चंद्रमा पर पहला भारतीय कदम कब रखेगा? तो सोमनाथ जी ने बताया कि इसरो ने 2040 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा, “हम चंद्रमा पर मानव को उतारने के मिशन पर काम कर रहे हैं। यह एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें समय लगेगा। हम इस दिशा में धीरे-धीरे कदम उठा रहे हैं और इसके लिए आवश्यक निवेश का प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया गया है।”
50 नए उपग्रहों की योजना
इसरो प्रमुख ने यह भी खुलासा किया कि वर्तमान में लगभग 50 नए उपग्रहों की योजना पर काम चल रहा है। ये उपग्रह विभिन्न भूमिकाओं में काम करेंगे, और उनके डिज़ाइन तैयार किए जा रहे हैं।
क्या था चंद्रयान-3 मिशन और यह कैसे सफल हुआ?
चंद्रयान-3 मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन था, जिसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर संचालन का लक्ष्य लेकर लॉन्च किया गया था। इस मिशन की सफलता ने भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की है।
मिशन का उद्देश्य और तैयारी
चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में सुरक्षित और सफलतापूर्वक उतरना था, जो वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। चंद्रयान-2 की आंशिक असफलता के बाद, इसरो ने चंद्रयान-3 को सफल बनाने के लिए मिशन की तैयारी और डिज़ाइन में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए।
चंद्रयान-3 में कोई ऑर्बिटर नहीं था, बल्कि इसमें एक लैंडर (विक्रम) और एक रोवर (प्रज्ञान) शामिल थे। लैंडर का काम रोवर को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतारना था, जबकि रोवर का काम चंद्रमा की सतह पर घूमकर वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करना था।
मिशन की लॉन्चिंग और यात्रा
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। इसे जीएसएलवी मार्क III (LVM-3) रॉकेट के माध्यम से चंद्रमा की ओर भेजा गया। लॉन्चिंग के बाद, यह यान पृथ्वी की कक्षा में घूमता रहा और फिर धीरे-धीरे चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा की।
इसरो ने इस मिशन में बेहद सटीकता के साथ यान को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कराया और फिर यान के विक्रम लैंडर को सतह पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की।
सॉफ्ट लैंडिंग और सफलता
चंद्रयान-3 की सबसे महत्वपूर्ण और जटिल चरण उसकी सॉफ्ट लैंडिंग थी। इसरो ने इस बार लैंडर के डिज़ाइन और सॉफ़्टवेयर में महत्वपूर्ण सुधार किए, जो सॉफ्ट लैंडिंग को संभव बनाने में मददगार साबित हुए।
23 अगस्त, 2023 को चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा। इसके साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन गया जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की हो। इस सफलता ने न केवल इसरो के वैज्ञानिकों की मेहनत और तकनीकी क्षमता को प्रमाणित किया, बल्कि भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
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