बांग्लादेश में नई सत्तापलट के बाद वहां पर कट्टरपंथी लगातार ऊट-पटांग करते रहते हैं। इसी क्रम में कट्टरपंथी हिफाजत ए इस्लाम के वाइस प्रेसीडेंट मुहिउद्दीन रब्बानी ने दो टूक कहा है कि देश कानून और संविधान के हिसाब से नहीं, बल्कि इस्लाम के हिसाब से चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि बांग्लादेश इस्लामी निजाम पर कायम रहे।
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दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में रब्बानी ने कहा कि अगर हमारे देश के लोग इस्लाम के निजाम पर आ जाएं, देश में हुकूमत ए इस्लाम कायम हो जाए तो देश में इंसाफ कायम हो जाएगा। रब्बानी ने ये भी कहा कि हम चाहते हैं कि बांग्लादेश में ‘शरिया निजाम’ लागू हो, लेकिन अभी ऐसा नहीं है। इसीलिए निजाम कायम करने के लिए जबरदस्ती करना हम पसंद नहीं करते हैं।
वहीं रब्बानी ने बांग्लादेश के जसोर, रंगपुर, मेहरपुर, चट्टोग्राम जैसे स्थानों में मंदिरों पर हमले को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि हमारा इस्लाम ऐसा नहीं करता है जब तक हमारे नबीं जिंदा थे, तब तक उन्होंने किसी पर कोई जुल्म नहीं किया। उन्होंने कहा कि हमने हिंसा को रोकने की बहुत कोशिश की थी। इसके लिए हमने नेताओं से कहा कि देश के सारे मंदिरों और चर्च की हिफाजत करने के लिए कहा था।
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जबकि, उन्होंने शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को तोड़े जाने की घटना को लेकर रब्बानी ने कहा कि पहली बात तो मूर्तियां ही बनानी नहीं चाहिए, लेकिन अगर बना ही ली हैं, तो सरकार को इन्हें सरकार को तोड़ देना चाहिए। उसने ये भी कहा कि अगर हमारे समर्थन वाली सरकार बनेगी, तो हम गुजारिश करेंगे कि पूरे देश में बनी तो सभी मूर्तियों को तोड़ देना चाहिए।
क्या करता है हिफाजत ए इस्लाम
गौरतलब है कि हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश इस्लाम, कुरान, हदीस की हिफाजत के लिए काम करता है। इसकी शुरुआत 2010 में हुई थी। ये इस्लामिक संगठन बांग्लादेश में धार्मिक राजनीति का सेंटर पॉइंट बन गया है।
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