कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ हुए जघन्य बलात्कार के मामले में हंगामा बढ़ता जा रहा है। यह घटना जितनी स्तब्ध करने वाली है, उतना ही स्तब्ध करने वाला है हिन्दू विरोधी एक्टिविस्ट लोगों का या तो मौन या फिर एकपक्षीय संवेदनशीलता। जहां एक तरफ राजनीतिक दलों ने उस प्रकार से कोई भी प्रक्रिया नहीं दी है, जो वह तब देते जब भाजपा शासित प्रदेशों में कोई अपराध होता है, तो वहीं कथित रूप से प्रगतिशील माँने वाले लोग भी इस मामले पर चुप हैं।
कोलकाता में एक 31 वर्षीय डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार में क्रूरता की हर सीमा पार कर दी गई थी और साथ ही जिस प्रकार से उसे पहले आत्महत्या का नाम प्रशासन ने दे दिया था और फिर जब अभिभावक अपनी बेटी के शव को लेने के लिए पहुंचे तो उन्हें तीन घंटे तक खड़ा रखा गया और फिर जिस स्थिति में शव मिला तो सबके होश उड़ गए थे। चश्मे का कांच आँखों में घुसा पड़ा था और जो भी दुर्दशा उसकी देह की थी, वह कल्पना से भी परे है। उस दरिंदगी को सुनते ही देह पीड़ा से भर जाती है और ऐसे में प्रदेश के प्रशासन के प्रति, प्रदेश के नेतृत्व के प्रति प्रश्न उठते हैं।
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कैसे आरंभ से ही इस घटना को दबाने का प्रयास किया गया और कैसे प्रिंसिपल को दूसरे कॉलेज में तत्काल ही नियुक्ति मिल गई थी और इस बात को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी यह प्रश्न किया था कि आखिर आप उस प्रिंसिपल को क्यों बचा रहे हैं, जिसने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मेडिकल कॉलेज से इस्तीफा दिया। मगर फिर भी 9 अगस्त को हुई इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों और साथ ही उस गलियारे में एक चुप्पी देखी गई थी। वह चुप्पी भयावह थी, वह चुप्पी इसलिए भयावह थी क्योंकि इस देश की प्रतिभाशाली डॉक्टर के साथ हुई इस जघन्य घटना के विरुद्ध न ही प्रगतिशील लेखकों की आवाज आई थी और न ही उन लोगों की, जो किसी भी भाजपा प्रशासित प्रदेश में किसी भी घटना पर आसमान सिर पर उठाकर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की सरकार से इस्तीफा मांगने लगते हैं।
ऐसी ही एक शख्सियत हैं स्वरा भास्कर। जिनका कथित स्टैंड सभी को पता है। जब इस जघन्य घटना के विषय में लोगों ने प्रश्न करना आरंभ किया, तो कथित प्रोग्रेसिव और पूरी तरह से हिन्दू विरोधी लोगों की संतुलित प्रक्रियाएं आनी आरंभ हुईं। जिनमें यह ध्यान रखा गया कि सरकार का नाम नहीं लेना है। ऐसी ही एक प्रतिक्रिया आई स्वराभास्कर की। स्वरा ने इस बलात्कार और हत्या के लिए समाज को ही दोषी ठहराया। स्वरा ने लिखा कि कलकत्ते में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या बहुत ही भयानक है और यह इस बात की याद हमें दिलाता है कि हम कैसे समाज हैं और कैसे हम अपनी लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। और अस्पताल के अधिकारियों ने जो लापरवाही की है, वह यह बताती है कि भारत महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। आरोपी जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए।
मगर यह नहीं भूलना चाहिए कि यह वही स्वरा हैं, जिन्होनें हाथरस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
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Difference between #KolkataHorror & #Hathras is very obvious! pic.twitter.com/48KgypCMeK
— Shashank Shekhar Jha (@shashank_ssj) August 14, 2024
हालांकि स्वरा ने इस मामले में एक और पोस्ट किया और कहा कि ऐसा क्यों है कि हाथरस की तरह कोलकता पुलिस ने अभिभावकों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि यह आत्महत्या है। मगर स्वरा से लोगों ने पूछा कि आखिर आप योगी आदित्यनाथ की तरह ममता बनर्जी से इस्तीफा क्यों नहीं मांग पा रही हैं?
लोगों ने प्रश्न किया कि क्या समाज की यह संवेदनशीलता का प्रश्न केवल कोलकता तक है या फिर भाजपा शासित क्षेत्रों में आपको राजनीति करने के लिए जाना होगा?
इसी प्रकार संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की चुप्पी पर भी लोग प्रश्न उठा रहे थे। राहुल गांधी ने इस घटना के विषय में 14 अगस्त को लिखा। मगर जिस प्रकार से लिखा, उसने कई प्रश्नों को जन्म दिया। राहुल गांधी की पोस्ट में भी एक बार भी यह नहीं लिखा था कि प्रदेश की ममता सरकार नकारा साबित हुई है। राहुल गांधी ने हाथरस से उन्नाव, कठुआ से कोलकता तक की घटनाओं का उल्लेख किया। मगर राहुल गांधी यहाँ भी सिलेक्टिव रह गए। उन्होनें कॉंग्रेस शासित प्रदेशों में हो रही घटनाओं या फिर अपनी ही पार्टी की पीड़ित महिला नेताओं का उल्लेख नहीं किया। वे उस घटना का उल्लेख करना भूल गए जिसमें उनकी ही पार्टी की असम की महिला नेता ने कॉंग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। और अभी हाल ही में उनकी ही पार्टी का तेलंगाना का पार्षद pocso अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार हुआ है।
लोगों ने राहुल गांधी से भी यही प्रश्न किए कि हाथरस तो आप तुरंत जा रहे थे, फिर आपको कोलकता जाने से कौन रोक रहा है? लोगों ने प्रश्न किया कि इसमे ममता बनर्जी या बंगाल सरकार का नाम क्यों नहीं है?
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मगर ये लोग प्रश्नों का उत्तर नहीं देते, बल्कि प्रश्न करने वालों को ब्लॉक करते हैं। जैसे बंगाल की नेता महुआ मोइत्रा ने उन सभी लोगों को प्रश्न पूछने पर ब्लॉक कर दिया, जिन्होनें नरेंद्र मोदी का विरोध करने पर महुआ को बंगाल की शेरनी या फिर स्त्री विरोध का प्रतीक बनाकर स्थापित किया था। ऐसे कई हैंडल सोशल मीडिया पर यह कह रहे थे कि जब महुआ ने नरेंद्र मोदी का विरोध किया, उनसे प्रश्न पूछे तो हमने महुआ को विरोध का स्वर उठाने वाली महिला बताया, तो अब महुआ खुद से प्रश्न पूछने पर हमें ही ब्लॉक कर रही है?
मगर न ही स्वरा, न ही राहुल गांधी और न ही महुआ जैसे एकतरफा देखने वालाओं के पास कोई उत्तर है और न ही इनके प्रशंसकों के पास। क्या इतनी जघन्य घटना के इतने दिनों के बाद इसके बाद भी इनकी ओर से कोई मजबूत विरोध नहीं आना चाहिए, जब डॉक्टर्स के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर रात में हमला किया जाता है।
एक तो एक प्रतिभाशाली डॉक्टर के साथ ऐसा कांड हुआ, उसकी हत्या हुई, और उसके बाद जब डॉक्टर्स विरोध कर रहे हैं तो उनके विरोध को कुचलने के लिए इस प्रकार के हथकंडे आजमाए जा रहे हैं, मगर फिर भी ये सभी स्वर मौन ही रहेंगे।
स्वरा जैसे लोगों से यह प्रश्न तो होना ही चाहिए कि यह संवेदना क्या सभी के लिए होगी या फिर गैर भाजपा शासित प्रदेशों के लिए ही? तमाम प्रगतिशील स्वर जो इस समय मौन हैं या फिर इसे समाज का मामला बता रहे हैं कि यह समाज का दोष है, समाज की दृष्टि गलत है और प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व को क्लीन चिट दे रहे हैं, क्या यह दृष्टि वे भाजपा शासित प्रदेशों के लिए भी रखेंगे या फिर यह कहा जा सकता है कि यह संवेदना उन्होनें केवल गैर भाजपा शासित प्रदेशों के लिए बचा रखी है?
या फिर यह भी कहा जा सकता है कि स्त्री पीड़ा उनके लिए महज उनके एजेंडे का एक टूल है और वास्तविकता में वे संवेदना रहित लोग हैं।
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