देहरादून: आजाद कॉलोनी स्थित मदरसा जामिया तुस्सलाम अल इस्लामिया के प्रबंधक उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष पेश नहीं हुए अलबत्ता उनके द्वारा भेजे दस्तावेज, आयोग को प्राप्त अवश्य हुए जिन्हें आयोग ने स्वीकार कर लिया।
मदरसा बोर्ड के उप रजिस्ट्रार भी आयोग के सामने पेश हुए और उन्होंने उक्त मदरसे के बारे में जानकारी दी कि जो मदरसा सोसायटी में पंजीकृत नहीं है वो अवैध है।
उत्तराखण्ड बाल अधिकार सरंक्षण आयोग कार्यालय में डॉ गीता खन्ना द्वारा मदरसा जामिया तुस्सलाम अल इस्लामिया, आजाद कालोनी, देहरादून के प्रकरण पर सुनवाई आहुत की गई, जिसमें मो मुफ्ती रईस अहमद कासमी, प्रबन्धक, मदरसा जामिया तुस्सलाम अल इस्लामिया, आजाद कालोनी, देहरादून अनुपस्थित रहें। प्रबन्धक मदरसा की ओर से उपस्थित पक्ष द्वारा उपस्थिति हेतु प्राधिकार पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। प्रबन्धक मदरसा की अनुपस्थिति पर अध्यक्ष द्वारा नराजगी व्यक्त करते हुए अनुपस्थित करार दिया गया।
पक्ष द्वारा मदरसा सम्बन्धित दस्तावेज आयोग के समक्ष भेजे गये जिन्हें आयोग द्वारा स्वीकार किया गया। मदरसा बोर्ड की ओर से उप रजिस्ट्रार डॉ शाहिद सिद्दीकी तथा मो हारून, लिपिक सम्वर्ग उपस्थित हुये। उप रजिस्ट्रार द्वारा अवगत कराया गया कि किसी भी सोसायटी के बिना मदरसा संचालन नहीं किया जा सकता है एवं नियमानुसार मदरसे में आवासीय व्यवस्था का कोई प्रावधान नहीं है। 2012 में मदरसा बोर्ड की स्थापना हुई है। सोसाईटी एक्ट के अन्तर्गत पांच वर्ष में सोसाईटी का नवीनीकरण किया जाता है। उक्त विवादित मदरसा 2007 से संचालित होना बताया गया।
प्राप्त दस्तावेजों एवं उपस्थित मदरसा बोर्ड पक्ष को सुनने के पश्चात आयोग द्वारा प्रबन्धक, मदरसा को अगली सुनवाई तिथि में अनिवार्य रूप से उपस्थित होने के साथ ही मदरसे में अध्ययनरत बच्चों का पूरा पता व विवरण सहित सूची उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया। शिक्षा विभाग से मुख्य शिक्षा अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग से मुख्य चिकित्सा अधिकारी व रजिस्ट्रार सोसाइटी रजिस्ट्रेशन सोसाईटी को अगली सुनवाई तिथि में उपस्थित होने हेतु निर्देश किये गये।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में बिना पंजीकरण करीब चार मदरसे चल रहे है जिनमें हजारों बच्चे इस्लामिक शिक्षा की तालीम ले रहे है जबकि उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा पाठ्यक्रम पढ़ाना है। इन अवैध मदरसों के बारे में ये भी जानकारी मिली है कि इनमें से कई सरकारी जमीनों पर कब्जे कर बनाए गए है।
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