हिंसा के बारे में बांग्लादेश के हिंदुओं के सोशल मीडिया हैंडलों पर हैरतअंगेज खुलासे किए गए हैं। हसीना के देश से निकल जाने के बाद शुरू हुई हिंसा में अवामी लीग पार्टी के नेताओं और उनके घरों, प्रतिष्ठानों पर भी हमले किए गए हैं। कई को तो जान से मार डाला गया है।
भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में मजहबी उन्मादियों की हिन्दू विरोधी हिंसा के समाचारों को जहां अमेरिका जैसे देशों का मीडिया दबाने में लगा है, वहीं नीदरलैंड्स के नेता गीर्ट हिन्दुओं की पीड़ा के विरोध में खुलकर सामने आए हैं। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वहां जिस प्रकार ‘छात्र आंदोलन’ की आड़ में कट्टर मजहबी हिन्दुओं के उत्पीड़न में लगे हैं वह चौंकाने वाला है। हिन्दुओं के घर, गांव, मंदिर जलाए गए हैं, हिन्दू महिलाओं से अभद्रता की सीमाएं लांघी जा रही हैं। इतने पर भी कोई पुलिस या सेना उनके बचाव में नहीं उतरी है।
लेकिन सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से बांग्लादेश में हिंदुओं के दमन के सारे चित्र और वीडियो विवरणों के साथ पूरी दुनिया में पहुंच चुके हैं। अपने यहां इस्लामी कट्टरता से जूझ रहे यूरोप के एक देश के नीदरलैंड्स के नेता ने इसके विरोध मुखर होने का फैसला किया है। अपने देश में कट्टर इस्लामवाद के धुर विरोधी माने जाने वाले पार्टी फॉर फ्रीडम के नेता गीर्ट विल्डर्स ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर बरपाए जा रहे कहर की निंदा करते हुए उनकी पूरी सुरक्षा करने की मांग की है। गीर्ट ने इसे ‘खौफनाक’ बताते हुए हिंसा को जल्दी से जल्दी काबू करने की अपील की है।
सरकारी नौकरियों में कोटा के विरोध में शुरू हुआ ‘छात्र आंदोलन’ 5 अगस्त से हिन्दू विरोधी हिंसा के बेशर्म नाच में बदल गया है। कट्टर इस्लामी तत्वों के झुंड के झुंड हिन्दुओं के घरों, प्रतिष्ठानों को जला रहे हैं, मंदिरों को आग के हवाले कर रहे हैं। हिन्दुओं की बेरहमी से हत्याएं कर रहे हैं। महिलाओं के साथ पशुता दिखा रहे हैं। इन सब कृत्यों को दर्शाते सैकड़ों वीडियो आज सोशल मीडिया पर साझा किए गए हैं। लेकिन दुनिया के अधिकांश बड़े नेताओं ने इस पर चुप्पी साधी हुई है। फिलिस्तीन में मानवाधिकार का रोना रोने वाले पश्चिम के नेताओं को बांग्लादेश के हिन्दुओं के मानवाधिकारों की जैसे कोई परवाह नहीं है।
यहां तक कि हिन्दू बहुल भारत में अधिकांश सेकुलर और मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं ने बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ जो हो रहा है उस पर ‘सेलेक्टिव सेक्यूलरिज्म’ का बाना ओढ़ लिया है। उन्हें वह सब दिखाई नहीं दे रहा है। राहुल गांधी, अखिलेश यादव, सलमान खुर्शीद, लालू यादव, ममता बनर्जी आदि मुसलमान वोटों के लालच में विमर्श को भटकाने और भड़काने वाली बयानबाजी कर रहे हैं।
हिंसा के बारे में बांग्लादेश के हिंदुओं के सोशल मीडिया हैंडलों पर हैरतअंगेज खुलासे किए गए हैं। हसीना के देश से निकल जाने के बाद शुरू हुई हिंसा में अवामी लीग पार्टी के नेताओं और उनके घरों, प्रतिष्ठानों पर भी हमले किए गए हैं। कई को तो जान से मार डाला गया है।
सेना प्रमुख के बयान के अनुसार, आज देर शाम बांग्लादेश में नोबुल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के नाते शपथ दिलाई जाएगी। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा इस बारे में आधिकारिक घोषणा कर दी गई है।
लेकिन इसके बाद भी लगता नहीं कि हिन्दू विरोधी हिंसा थम जाएगी। कारण यह कि अब जो भी सत्ता में आएगा वह कट्टर मजहबियों पर लगाम शायद ही लगा पाएगा। ऐसे तत्वों के ‘काफिर विरोधी’ कृत्यों को करने की खुली छूट जैसी अब मिली हुई है, तब भी कमोबेश ऐसी ही छूट रहने वाली है। अभी तक इस हिंसा में मरने वालो की संख्या 440 तक पहुंच गई है।
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