जर्मनी के गृह मंत्रालय का कहना है कि इस्लामिक संगठन पर प्रतिबंध के चलते देश में चार शिया मस्जिदें बंद की जाएंगी। इस सेंटर की संपत्ति भी जब्त की जा रही है। देश की गृह मंत्री नैन्सी फ़ेसर का दावा है कि इस इस्लामी संगठन को चरमपंथ का प्रचार करने के आरोप में प्रतिबंधित किया जाएगा। जर्मनी सरकार का मानना है कि यह इस्लामिक संगठन जिहादी गुट हिज्बुल्लाह का समर्थक है।
आखिरकार जर्मन सरकार ने दुनिया में बढ़ रहे कट्टर इस्लाम के खतरे को पहचानते हुए हैम्बर्ग स्थित इस्लामिक सेंटर को बंद कर दिया। जर्मनी की सरकार के इस कदम पर बौखलाते हुए ईरान सरकार ने इसे ‘विवादास्पद’ बताया है। ईरान के अनुसार, यह एक ‘ऐतिहासिक संस्था’ है, इसने 70 से ज्यादा साल से ‘दुनिया भर में शांति तथा अंतरपांथिक संवाद को बढ़ावा’ दिया है।
यहां ध्यान देने की बात यह है कि गत नवम्बर माह के मध्य में, जर्मन पुलिस ने हैम्बर्ग स्थित इस्लामिक संगठन की छानबीन के सिलसिले में पूरे जर्मनी में 54 जगहों पर छापे मारे थे। जर्मनी के गृह विभाग के सूत्रों ने बताया है कि इस्लामिक सेंटर हैम्बर्ग (आईजेडएच) तो एक लंबे समय से देश की खुफिया एजेंसी की नजर में रहा है।
जर्मन सरकार के इस कदम पर आईजेडएच का कहना है कि वह “हर तरह की हिंसा और उग्रवाद की निंदा करता है और शांति, सहिष्णुता और अंतरपांथिक संवाद की वकालत करता रहा है।” उसका कहना है कि इस कार्रवाई से इस यूरोपीय देश ने आईजेडएच तथा और उसके पांच उप-संगठनों को बंद करके एक और ‘आक्रामक काम’ किया है।
जर्मनी के गृह मंत्रालय का कहना है कि इस्लामिक संगठन पर प्रतिबंध के चलते देश में चार शिया मस्जिदें बंद की जाएंगी। इस सेंटर की संपत्ति भी जब्त की जा रही है। देश के गृह मंत्री नैन्सी फ़ेसर का दावा है कि इस इस्लामी संगठन को चरमपंथ का प्रचार करने के आरोप में प्रतिबंधित किया जाएगा। जर्मनी सरकार का मानना है कि यह इस्लामिक संगठन जिहादी गुट हिज्बुल्लाह का समर्थक है। हैम्बर्ग में ब्लू मस्जिद पर दर्जनों जर्मन पुलिस कर्मियों ने छापा मारा था। यह मस्जिद उत्तरी जर्मन शहर के आउटर एलस्टर झील के पास एक रसूखदार इलाके में है, इसका संचालन इस्लामिक सेंटर द्वारा किया जाता है।
ब्लू मस्जिद के नाम से मशहूर ‘इमाम अली मस्जिद’ जर्मनी की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक बताई जाती है। जर्मनी के इस कदम से खिन्न होकर ईरान के विदेश मंत्रालय ने तेहरान में जर्मन राजदूत हंस-उडो मुज़ेल को तलब करके अपनी नाराजगी दर्ज कराई थी। इस मौके पर विदेश मंत्रालय में पश्चिमी यूरोपीय मामलों के महानिदेशक ने जर्मन सरकार को चेताया था कि इस तरह के ‘विनाशकारी कामों’ के बुरे परिणाम हो सकते हैं। उनका कहना था, “इस तरह की कार्रवाइयां विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध हैं और वास्तव में हिंसा और चरमपंथ को बढ़ावे देने जैसी हैं।”
इस कार्रवाई को लेकर ईरान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अली बाघेरी कानी ने जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक से फोन पर बात करके अपनी नारजगी व्यक्त की थी। जर्मनी में इस्लामी केंद्रों को बंद करने को पूरी तरह से ‘राजनीति से प्रेरित कार्रवाई’ बताते हुए कहा था कि यह इस्लामवाद का विरोध और ज़ायोनिस्टशासन के हितों को सुरक्षित करने की चाल है।
इस पर जर्मनी के विदेश मंत्री का कहना था कि अगर इस्लामिक सेंटर को उनकी सरकार का यह कदम गलत लगता है तो वह जर्मनी में कानूनी तंत्र के माध्यम से अपने अधिकारों का पालन कर सकता है।
सोशल मीडिया एक्स पर ईरानी मंत्री बाघेरी ने लिखा कि ‘जर्मन अधिकारियों ने यूरोप के सबसे पुराने इस्लामी केंद्रों में से एक उस इस्लामिक सेंटर के विरुद्ध कार्रवाई की, जिसे प्रमुख शिया मरजा के ग्रैंड अयातुल्ला बोरुजेर्डी द्वारा स्थापित किया गया था।’ बाघेरी ने आगे कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ‘इस्राएल का आतंकवादी रंगभेद शासन दुनिया के जनमत को फिलिस्तीनियों के निरंतर नरसंहार से विचलित करने के लिए हर अवसर का दुरुपयोग करने को उत्सुक है और उसने ब्लू मस्जिद के खिलाफ जर्मनी की कार्रवाई का स्वागत किया है’।
जर्मनी ने इस्लामोफोबिया के नाम पर इस्लामिक सेंटर को बंद किया स्वाभाविक तौर पर ईरान के मदरसों द्वारा जर्मनी की इस कार्रवाई की निंदा की ही जानी थी। मदरसों की समिति ने एक बयान जारी करके कहा है कि ‘इस्लामिक संस्थानों को बंद करने से मजहब और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने का दावा करने वालों का पाखंड उजागर होगा। यह कदम जर्मनी में नाजी शासन की नस्लवादी नीतियों की याद दिलाता है।’
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