भारत एक लाख से अधिक प्रजाति के जीवों की ‘चेकलिस्ट’ जारी करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के अनुसार भारत की भौगोलिक, जैव-जलवायु और पारिस्थितिक विविधता 1,04,000 से अधिक जीव- जन्तुओं और 50,000 से अधिक पौधों की प्रजातियों का संरक्षण करने वाली है, जो वैश्विक जैव विविधता के लगभग 8 प्रतिशत हैं। सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं के कारण भी भारत की जैव विविधता संरक्षित है।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जूलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया) द्वारा भारत के संपूर्ण जीव-जंतुओं की सूची तैयार की गई है, जिसमें कुल 1,04,561 प्रजातियां शामिल हैं। 30 जून 2024 को भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के 109वें स्थापना दिवस और पशु वर्गीकरण शिखर सम्मेलन-2024 के अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारत के सम्पूर्ण जीव-जंतुओं की सूची जारी की। यह ‘फौना आफ इंडिया चेकलिस्ट’ शीर्षक से भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की वेबसाइट zsi.gov.in पर उपलब्ध है। श्री भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘इस सफलता के साथ, भारत ने स्वयं को जैव विविधता संरक्षण में ‘ग्लोबल लीडर’ के रूप में स्थापित किया है। जैव विविधता के संरक्षण के मामले में भारत हमेशा से दुनिया में अग्रणी देश रहा है। हमारी परंपराएं, सिद्धांत और मूल्य प्रकृति का सम्मान करते हैं और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देते हैं’।
भारत के सम्पूर्ण जीव-जंतुओं की ‘चेकलिस्ट’ देश के जीव-जंतुओं का पहला व्यापक दस्तावेज है। भारत के सम्पूर्ण जीव-जंतुओं की सूची वर्गीकरण वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, संरक्षण प्रबंधकों और नीति निर्माताओं के लिए अमूल्य जानकारी के भंडार के रूप में काम करेगा। इसमें 121 सूचियां हैं। इस सूची में जीव-जंतुओं की लुप्तप्राय, स्थानिक और अनुसूचित प्रजातियां भी शामिल हैं।
भारत में जैव विविधता संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है और संरक्षण के लिए स्पष्ट नीति, कानून और प्रशासनिक ढांचा मौजूद है। भारत में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। गाय को पूजने की सनातन परम्परा है। पहली रोटी गो माता को खिलाई जाती है। मोर, मूषक, बाघ आदि देवी-देवताओं के वाहन हैं। तुलसी, पीपल सहित अनेक पौधों की पारंपरिक रूप से पूजा की जाती है।
भारत में वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 की विभिन्न अनुसूचियों के तहत जानवरों की 3,739 प्रजातियां संरक्षित हैं। संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क में 1,022 संरक्षित क्षेत्रों को शामिल किया गया है। संरक्षित क्षेत्र देश के कुल 1,78,640.69 वर्ग किमी भौगोलिक क्षेत्र (लगभग 5.43%) को कवर करते हैं।
जीव विविधता का दस्तावेजीकरण
सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के तहत 2015 से भारतीय प्राणी सर्वेक्षण बड़ी मात्रा में डेटा का डिजिटलीकरण कर रहा है जिसे नागरिकों और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए निशुल्क आनलाइन प्रकाशित किया जा रहा है। भारतीय जीव-जन्तु विविधता से जुड़ी व्यापक जानकारियां आनलाइन वेब पोर्टल faunaofindia.nic.in पर उपलब्ध हैं। वाउचर नमूनों के डिजिटल स्कैन वेब पोर्टल zsicollections.in पर उपलब्ध हैं। वाउचर नमूनों के डिजिटल स्कैन से तात्पर्य संग्रहालयों और शोध संस्थानों में संरक्षित नमूनों या संदर्भ नमूनों की छवियों को डिजिटल फॉर्मेट में परिवर्तित करने से है, ताकि उन्हें कंप्यूटर या अन्य डिजिटल उपकरणों पर देखा और अध्ययन किया जा सके। हाल ही में, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने भारत के दस जैव-भौगोलिक क्षेत्रों की जैव विविधता का दस्तावेजीकरण करते हुए व्यापक मोनोग्राफ प्रकाशित किए हैं। ये मोनोग्राफ भारत के जीवों के बारे में अद्यतन जानकारी प्रदान करते हैं।
उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध से उपमहाद्वीप के जीवों का दस्तावेजीकरण किया गया है और कई खंड ‘ब्रिटिश भारत के जीव’ और स्वतंत्रता के बाद ‘भारत के जीव’ के रूप में प्रकाशित किए गए हैं। हालांकि, इन खंडों में कई जीवों के वर्ग शामिल नहीं थे और इनमें से कुछ प्रकाशनों को लगभग सौ वर्षों तक अद्यतन नहीं किया गया। भारत के जीवों की विविधता का व्यापक रूप से दस्तावेजीकरण करने का सबसे पहला प्रयास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कीट विज्ञानी थॉमस बैनब्रिज फ्लेचर द्वारा किया गया, जिन्होंने 1920-30 के दौरान 29 भागों के साथ पांच खंडों में ‘भारतीय कीटों की सूची’ प्रकाशित की। स्वतंत्रता के बाद, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों ने कई जीव वर्गों की जांच सूची प्रकाशित की। अद्यतन वर्गीकरण और नामकरण के साथ कई आनलाइन वैश्विक कैटलॉग भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की वेबसाइट zsi.gov.in पर उपलब्ध हैं।
जैव विविधता पर प्रकाशित महत्वपूर्ण पुस्तकें
सम्पूर्ण जीव-जंतुओं की सूची पोर्टल के लोकार्पण के अवसर पर
जैव विविधता पर निम्नांकित पुस्तकों का विमोचन किया गया:
- भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की पुस्तक ‘एनिमल डिस्कवरीज 2023’, जिसमें भारत से 641 नई पशु प्रजातियां और नए दस्तावेज शामिल हैं।
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण की पुस्तक ‘प्लांट डिस्कवरीज 2023’, जिसमें भारत के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित 339 नई पौधों की नई प्रजातियां और देश से नए दस्तावेज शामिल हैं।
- आईसीएआर-एनबीएफजीआर, लखनऊ और जेडएसआई, कोलकाता द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित ‘बारकोड एटलस आफ इंडियन फिश’।
- अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशन – ‘आरओएआर-सेलिब्रेटिंग 50 इयर्स आफ प्रोजेक्ट टाइगर’, ‘फौना आफ इंडिया-109 बारकोड’, ‘कैटलॉग आफ होवरफ्लाइज’, ‘कैटलॉग आफ मस्किडे’ और ‘फ्लोरा आफ इंडिया सीरीज’।
प्राणी विज्ञान की आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली के आगमन के साथ वर्गीकरण और नामकरण तेजी से बदल रहे हैं। आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली में जीवों का वर्गीकरण उनके आनुवांशिक, शारीरिक और विकासात्मक विशेषताओं के आधार पर किया जाता है। इसमें डीएनए अनुक्रमण, आणविक विश्लेषण और अन्य जैव प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है ताकि जीवों के बीच के संबंधों को अधिक सटीक तरीके से समझा जा सके। इसके अलावा, कई प्रजातियों की विविधता और वितरण के बारे में वैज्ञानिक समझ का दायरा बढ़ा है। इसलिए भारत की जीव विविधता को वर्तमान वर्गीकरण और नामकरण के साथ अद्यतन करना आवश्यक है।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के निदेशक डॉ. धृति बनर्जी के नेतृत्व में, सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों द्वारा प्रोटिस्टा (एककोशिकीय सूक्ष्म जीवों के समूह) और एनिमेलिया जगत के सभी पशु वर्गों को कवर करते हुए भारत के सम्पूर्ण जीवों की सूची को अद्यतन कर जारी किया गया है, यह विश्व में पहली बार हुआ है। प्रोटिस्टा जगत में वे सभी संयुक्तकोशीय प्राणी या यूकरियोटिक जीव शामिल होते हैं, जो एककोशिकीय या सरल बहुकोशिकीय जीव हैं, जैसे अमीबा, पैरामीशियम, शैवाल और कवक। जंतु जगत में बहुकोशिकाओं वाले संयुक्तकोशिकी प्राणी या यूकरियोटिक जीव शामिल हैं जो विभिन्न जटिल शारीरिक संरचनाएं रखते हैं।
(लेखक विज्ञान संचार विशेषज्ञ हैं)
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