वर्तमान कोटा विरोधी प्रदर्शनों के पीछे अदालत का वह आदेश है कि सरकार नौकरियों में 56 प्रतिशत का तय कोटा कम करे, लेकिन सरकार इस आदेश को फिलहाल मानने से इंकार कर रही है। इसी बात पर छात्र सड़कों पर उतरे और उन्हें पीछे से पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने गुपचुप हवा देकर पूरे देश को पंगु बना दिया।
बांग्लादेश पिछले कई दिनों से हिंसा की आग में तप रहा है। कोटा विरोधी छात्र आंदोलन ने पूरे देश में बवाल मचा रखा है। हालांकि शेख हसीना सरकार ने देश में कर्फ्यू लगा दिया है, लेकिन अब भी हिंसा की छिटपुट वारदातें देखने में आ रही हैं। सरकार ने उपद्रवियों को देखते ही गाली मारन के आदेश दिए हैं। इस बीच भारत के पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने दावा किया है कि बांग्लादेश में कोटा विरोधी आंदोलन के पीछे पाकिस्तान तथा आईएसआई की साजिश है।
कोटा विरोधी इस आंदोलन के दौरान पुलिस और युवाओं के बीच अनेक स्थानों पर हुए हिंसक टकरावों में लगभग 114 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि चार हजार से अधिक लोगों के घायल होने के समाचार हैं। सरकार द्वारा पुलिस को खुले आदेश दिए गए हैं कि उपद्रवियों को देखते ही गोली मार दी जाए। इसके बाद से हिंसा की वारदातों में कुछ कमी देखने में आ रही है।
बांग्लादेश में अचानक इतने बड़े पैमाने पर हिंसा कैसे भड़की, इसे लेकर अनेक विशेषज्ञों की राय सामने आई है। युवाओं में सरकारी नौकरियों में कोटा को लेकर रोष तो था, लेकिन वह इस हद तक पहुंच जाएगा कि देश जल उठेगा, इसकी उम्मीद किसी को भी न थी। अब ऐसे संकेत मिले हैं कि इस हिंसा के पीछे पाकिस्तानी कट्टरपंथी तत्व और आईएसआई की भूमिका है।
इस बारे में भारत के पूर्व विदेश सचिव की भी लगभग यही राय है। भारत के पड़ोस में घट रहे इन घटनाक्रमों पर चिंता जताते हुए उनका कहना है कि इसमें पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई और वहीं के उन लोगों की साजिश शामिल है जो चाहते हैं कि बांग्लादेश में एक बार फिर कट्टरपंथी तत्व हावी हों। पाकिस्तान के मजहबी कट्टरपंथी ही वहां कोटा विरोधी इस आंदोलन हवा देने में लगे हैं। बांग्लादेश को नफरती कट्टरपंथ की आग में वे धकेलना चाहते हैं इसलिए प्रयास कर रहे हैं कि कैसे भी वहां हिंसा का यह माहौल और भड़के।
वर्तमान कोटा विरोधी प्रदर्शनों के पीछे अदालत का वह आदेश है कि सरकार नौकरियों में 56 प्रतिशत का तय कोटा कम करे, लेकिन सरकार इस आदेश को फिलहाल मानने से इंकार कर रही है। इसी बात पर छात्र सड़कों पर उतरे और उन्हें पीछे से पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने गुपचुप हवा देकर पूरे देश को पंगु बना दिया।
सरकार ने 1971 के ‘स्वतंत्रता सेनानियों’ के परिजनों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया हुआ है। इनमें कट्टरपंथी तत्व शामिल नहीं हैं, क्योंकि वे तो उस दौरान पाकिस्तानी पिट्ठू बने हुए थे। छात्र प्रदर्शनकारियों में एक कट्टर सोच वाला वर्ग है जो नहीं चाहता कि ‘स्वतंत्रता सेनानियों’ के परिजन आरक्षण की परिधि में रखे जाएं।
शेख हसीना सरकार ने उन परिजनों के लिए नौकरियों में 30 प्रतिशत का कोटा निर्धारित किया हुआ है। महिलाओं के लिए भी 10 प्रतिशत स्थान तय किए हुए हैं। कुल कोटा में 10 प्रतिशत पिछड़े जिलों के निवासियों के लिए आरक्षित किया गया है। पांथिक अल्पसंख्यकों के लिए कोटा 5 प्रतिशत रखा गया है। जून 2024 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस कोटा को अमान्य कर दिया था। सरकार को कहा था कि कोटा व्यवस्था की फिर से समीक्षा करे। इसके बाद से ही कोटे के पक्ष और विपक्ष के गुटों में खींचतान शुरू हुई है और देश में आंदोलन शुरू हुए हैं।
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