आप पहले ही प्रयास में केवल 23 वर्ष की आयु में आईएएस अधिकारी बने थे। यह सपना कैसे पूरा हुआ?
जब मैं 8 साल का था तभी मेरे पिताजी का निधन हो गया था। वे स्कूल में अध्यापक थे। पेंशन बनवाने के लिए मां बार-बार जिला मुख्यालय रायगढ़ जाती थीं। मैं भी साथ जाता था। कई बार जाने के बाद भी काम नहीं हो रहा था। इसलिए एक दिन मां ने वहां के कलेक्टर से भेंट की। उन्होंने संबंधित अधिकारी को डांटा। उसके बाद काम हो गया। उस समय मैं 11 साल का था। तभी मेरे मन में आया कि कलेक्टर होना बड़ी बात होती है। फिर संकल्प लिया कि पढ़-लिखकर कलेक्टर बनना है और सच में 23 वर्ष की उम्र में वह सपना पूरा हो गया। दंतेवाड़ा में जब नक्सलवाद चरम पर था तब वहां मैं 3 साल कलेक्टर रहा। मैंने बहुत करीब से नक्सलवाद को देखा और उसे समाप्त करने के लिए कार्य भी किया। इसके लिए मुझे तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने ‘एक्सीलेंसी अवार्ड’ से सम्मानित भी किया था।
एक सफल आईएएस अधिकारी होते हुए भी आपने राजनीति की रपटीली राह क्यों चुनी?
13 साल तक एक कलेक्टर के तौर पर काम करने के बाद मुझे इस बात का अहसास हुआ कि हम पसंद करें या ना करें, चाहें या न चाहें लेकिन देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीति की एक बड़ी भूमिका है और उसे चलाने में राजनीति एक इंजन की भूमिका निभाती है। बचपन में मैंने चाणक्य का एक कथन पढ़ा था कि अच्छे लोगों का राजनीति में भाग नहीं लेने का पहला दुष्परिणाम होता है कि बुरे लोग अच्छे लोगों पर शासन करने लगते हैं। इसलिए मैंने राजनीति में आने का दुस्साहस किया और 2018 में भाजपा में शामिल हुआ। आज जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से एक बड़ी जिम्मेदारी निभा रहा हूं। जैसे मैंने प्रशासनिक क्षेत्र में अच्छा कार्य किया वैसे ही राजनीति में अच्छा काम करना चाहूंगा। कांग्रेस पार्टी के जिस प्रधानमंत्री ने मुझे सम्मान दिया था, वही पार्टी दंतेवाड़ा में मेरे द्वारा किए गए कार्यों पर आज सवाल उठा रही है। घोटाले खोजने का प्रयास करती है, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी होती है। यह नकारात्मकता है।
वित्त मंत्री के रूप में आपने इस वर्ष अपना पहला बजट प्रस्तुत किया। इसे धरातल पर उतारने के लिए क्या योजना है?
गत 9 फरवरी को मैंने बजट प्रस्तुत किया था। इसमें हमने सरकार के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। हमने बजट में पहला बिंदु ज्ञान का रखा था। प्रधानमंत्री जी ‘ज्ञान’ के संबंध में कहते हैं ‘जी’ फॉर गरीब, ‘वाई’ फॉर युवा, ‘ए’ फॉर अन्नदाता और ‘एन’ फॉर नारी शक्ति। हमारे छत्तीसगढ़ के भाई-बहनों को कहा जाता है ‘अमीर धरती के गरीब लोग।’ लेकिन आपको बता दें कि देश का 20 फीसदी कोयला, 16 प्रतिशत लौह अयस्क, 11 फीसदी लाइमस्टोन, 4.4 फीसदी बॉक्साइट, 100 फीसदी टिन का उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है। मंगलयान और चंद्रयान में इस्तेमाल किया गया एल्युमिनियम छत्तीसगढ़ की धरती से निकला है। छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा लिथियम का भंडार मिला है। इस अमीर धरती का लाभ लोगों को मिले, इसे देखते हुए ही बजट बनाया गया है। समाज का अंतिम व्यक्ति का भी विकास हो, इसी दिशा में मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में कार्य किया जा रहा है।
भारत के विकास यज्ञ में आहुति
संवाद के दौरान वित्त मंत्री ओम प्रकाश चौधरी ने एक पीपीटी के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि भारत के विकास में छत्तीसगढ़ भी अपना योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा रखे एक ठोस खाके के साथ आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री भारत की आजादी के अमृतकाल के समय में 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वे पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना को उत्पादन का केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ऐसे निर्णय ले रहे हैं, जिसे कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं लेना चाहता है, क्योंकि राजनीतिक तौर पर ये उनके लिए हानिकारक हो सकता है। इसके बावजूद वे इस तरह के फैसले ले रहे हैं, जोकि भारत को विकासशील से विकसित राष्ट्र बनाने के लिए जरूरी हैं। ऐसे में हमारी सरकार की यह जिम्मेदारी है कि विकास की इस यात्रा में हम अपनी आहुति दें। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में आगे हमारी रणनीति यह है कि हम ‘सर्विस सेक्टर’ में अधिक ध्यान देंगे।
आपसे पहले की कांग्रेस सरकार में बहुत घोटाले होते थे। जीएसटी को लेकर व्यापारियों में रोष दिखता था। इस संबंध में आपका क्या कहना है?
कोई भी व्यापारी सरकार से यही अपेक्षा करता है कि उसके व्यापार में कोई बाधा न आए। पिछली कांग्रेस सरकार में सभी जगह भय और आतंक था। ऐसे में कोई कारोबार पनप नहीं सकता। उस समय की सरकार ने प्रशासन तंत्र को पूरी तरह चरमरा दिया था। कांग्रेस सरकार में काम कर चुके दो जीएसटी कमिश्नर पिछले डेढ़ या दो साल से जेल में हैं। इससे आप कांग्रेस के इरादों को समझ सकते हैं। टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई-ढाई साल का सूत्र बना था। लेकिन इस सूत्र को विफल करने के लिए भूपेश बघेल ने जो तरीका अपनाया, वह था कि उन्होंने गांधी परिवार के लिए छत्तीसगढ़ को एटीएम बना दिया, ताकि वे अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सकें।
माफिया और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए आपकी सरकार क्या कर रही है?
आदरणीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राज्य सरकार बहुत तेजी से हर क्षेत्र में सुधार कर रही है। कोई भी सरकार चुस्त शासन के बिना न तो नक्सलवाद से लड़ सकती है और न ही विकास सुनिश्चित कर सकती है। इसी विचार के साथ सरकार ने कई कदम उठाए हैं। उदाहरण के तौर पर कोयला में ‘रॉयल्टी सिस्टम’ था। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने उसे आनलाइन कर दिया था। उसमें व्यापारी को रिलीज आर्डर स्वत: मिल जाता था। लेकिन भूपेश बघेल सरकार ने जुलाई, 2020 में इसे ‘मैनुअल’ कर दिया। इससे कई गड़बड़ियां होती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने आते ही उसे आनलाइन किया। हम तकनीक का इस्तेमाल करके पूरी व्यवस्था को सुधारने में लगे हुए हैं। हम भारत को सशक्त बनाने में अपना योगदान देना चाहते हैं।
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