खालिस्तान और अलगाववाद का समर्थक अमृतपाल सिंह अब भारत के संविधान में विश्वास जताने की बात कह रहा है। खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल ने पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत हिरासत व हिरासत की अवधि बढ़ाने को चुनौती दी है। उसने कहा कि उसका संविधान में विश्वास है और इसकी उसने नामांकन भरते हुए और सांसद पद ग्रहण करते हुए शपथ भी ली थी।
अमृतपाल ने याचिका दाखिल करते हुए उस पर लगाए गए एनएसए को चुनौती दी है। उसका कहना है कि वह अब सांसद है अपने क्षेत्र के लोगों का प्रतिनिधित्व करना है। वर्तमान में उसे असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद रखा गया है। उसके खिलाफ सभी कार्रवाई गैर संवैधानिक, कानून के खिलाफ और राजनीतिक दुर्भावनापूर्ण से की गई हैं। उसे पंजाब से दूर हिरासत में रखकर उसके जीवन की स्वतंत्रता छीन ली गई है। पंजाब से डिब्रूगढ़ की दूरी रेल व सडक़ मार्ग दोनों से करीब चार दिन की है क्योंकि यह करीब 2600 किलोमीटर है। उसने आरोप लगाया किसरकार यह दुष्प्रचार कर रही है कि उसका संविधान में कोई विश्वास नहीं है। हाईकोर्ट में दाखिल इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी।
अमृतपाल की सांसद शपथ के बाद उसकी मां ने कहा था कि उसके बेटे को संविधान में पूरा विश्वास है। इस पर अमृतपाल ने अपनी मां को डांटते हुए कहा था कि उसके परिवार का कोई सदस्य उसके व पन्थ के रास्ते में न आए। उसे पन्थ व परिवार में से किसी एक को चुनना पड़ा तो वह पन्थ को चुनेगा। पंजाब में कट्टरपन्थियों का एक वर्ग सोशल मीडिया पर अमृतपाल को नायक की तरह पेश करता है और यह उनकी अलगाववादी विचारधारा का चेहरा बन चुका है।
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