सुप्रीम कोर्ट ने आज (सोमवार, 8 जुलाई, 2024) महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म की छुट्टी को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए निपटारा किया। शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार से सभी हितधारकों और राज्य सरकारों के साथ बात करने को कहा है ताकि इस संबंध में एक आदर्श नीति बनाने को लेकर फैसला किया जा सके।
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शीर्ष अदालत ने कहा कि मासिक धर्म का अवकाश महिलाओं के लिए कार्यबल में बड़ी हिस्सेदारी के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, लेकिन इस तरह की छुट्टियों को अनिवार्य बनाने से महिलाओं को कार्यबल से दूर रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ऐसा नहीं चाहते हैं कि महिलाओं को कार्यबल से दूर रखा जाए।
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कोर्ट ने महिला सुरक्षा को लेकर कहा कि हम जो कुछ भी करने की कोशिशें करते हैं वह उनके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले को नीतिगत निर्णय मानता है। कोर्ट का कहना है कि इस मामले पर केंद्र और राज्य सरकारें इस मामले पर विचार कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया है कि वह अपनी याचिका के साथ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पास जाने को कहा है।
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