पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू प्रतीकों से नफरत, भगवा ध्वज और गेरुआ रंग से नफरत के आरोप लगते रहे हैं। जिस तरह से पश्चिम बंगाल में चुन-चुन कर चुनावों के बाद हिन्दुओं को निशाना बनाया गया उसके बाद प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर विरोधियों ने सवाल उठाते कई बार कहा है कि वो इस्लामिक तुष्टिकरण करती हैं। ताजा मामले में एक बार फिर से ममता बनर्जी ने बंगाल के घरों पर लगे टीन शेड की छतों के गेरुआ और लाल रंग पर आपत्ति जताई है।
उन्होंने गेरुआ और लाल रंग पर सवाल करते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव को इसकी जांच का आदेश दिया है। ममता बनर्जी ने पूछा है कि आखिर बंगाल में घरों की छतों पर अलग-अलग रंग के टीन शेडों की आपूर्ति कैसे की जा रही है। इसको लेकर उन्होंने बीते गुरुवार को सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की और उसमें खास तौर पर एक सवाल किया कि जब प्रदेश का रंग नीला और सफेद है तो फिर लोग क्यों नहीं अपना रहे हैं। बैठक में ममता ने ये भी पूछा कि घर की दीवारें लाल और गेरुआ ही क्यों हैं? यहीं नहीं ममता बनर्जी ने मेट्रो स्टेशनों को गेरुआ रंग से पोतने पर भी सवाल उठाया है।
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भगवा रंग से दुश्मनी नई नहीं
गौरतलब है कि ममता बनर्जी की भगवा रंग से शत्रुता नई नहीं है। इससे पहले पिछले साल ममता बनर्जी ने भारतीय क्रिकेट टीम की भगवा रंग की प्रैक्टिस जर्सी पर सवाल उठाया था। उन्होंने ‘अब सब कुछ भगवा हो रहा है! हमें अपने भारतीय खिलाड़ियों पर गर्व है और मुझे विश्वास है कि वे विश्व विजेता बनेंगे… लेकिन जब वे अभ्यास करते हैं तो उनकी ड्रेस भी भगवा हो गई है…! वे पहले नीला रंग पहनते थे। यहां तक कि मेट्रो स्टेशनों को भी भगवा रंग में रंगा जा रहा है। इससे पहले भी ममता बनर्जी ने गेरुआ रंग पर सवाल उठाया था। लेकिन, अब तो उन्हें घर की दीवारों और टीन की गेरुआ छतों से भी नफरत हो गई है।
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