विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान का यह कदम साफ तौर पर दिखाता है कि उस पर चीन का भारी दबाव है जिसके चलते यह कार्रवाई करने की घोषणा की गई है। चीन पिछले लंबे वक्त से विशेषकर पीओजेके में ‘उग्रपंथ और अलगाववाद’ के विरुद्ध सैन्य आपरेशन की मांग करता आ रहा था।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में चीन की ‘सीपैक’ परियोजना को लेकर उग्र होते स्थानीय विरोध, चीनी कामगारों पर विद्रोही गुट के हमलों और परियोजना का निर्माण कार्य मंद पड़ने के बाद चीन बौखलाया हुआ है। उसने पाकिस्तान की हुकूमत से उस क्षेत्र की सुरक्षा चौकस करने अथवा अपनी मुश्कें कसवाने की कड़े शब्दों में धमकियां जेसी दी है। संभवत: उसी धमक की वजह से अब पाकिस्तान पीओजेके से लेकर बलूचिस्तान तक विद्रोही गुटों के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई करने का मन बना चुका है।
इसी कड़ी में ताजा जानकारी है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने ‘नेशनल एंटी टेरर आपरेशन’ पर अमल करने को हरी झंडी दिखा दी है। इसे नाम दिया गया है कि ‘ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम’। इस कार्रवाई के अंतर्गत पाकिस्तान की फौज देश के प्रत्येक राज्य में विद्रोहियों के विरुद्ध हथियारबंद कार्रवाई करेंगे।
सरकार की ओर से बताया गया है कि इस्लामाबाद ने पूरे देश में उग्र होते जा रहे विद्रोह तथा आतंकवाद को कुचलने के लिए यह सैन्य आपरेशन करना तय किया है। परसों यानी 22 जून को प्रधानमंत्री शरीफ की मौजूदगी में नेशनल एक्शन प्लान की सर्वोच्च समिति ने इस सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम’ पर मुहर लगा दी।
इस मौके पर उपप्रधानमंत्री व विदेश मंत्री इशाक डार, गृहमंत्री मोहसिन नकवी, कानून मंत्री तथा सूचना मंत्री सहित कुछ वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर, सभी राज्यों तथा अधिक्रांत गिलगित-बाल्टिस्टान के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे। सेना के अधिकारियों ने इस आपरेशन का खाका सबके सामने रखा। सरकार की तरफ से इस आतंकवाद विरोधी कार्रवाई को शुरू करने को कह दिया गया।
ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकम एक विद्रोही तथा आतंकवाद निरोधी कार्रवाई होगी। यह आपरेशन गिलगित-बाल्टिस्टान तथा पीओजेके सहित पूरे पाकिस्तान में चलाया जाना है। बता दें कि पहले राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के राज में पाकिस्तानी फौज ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब नाम से एक आपरेशन तहरीक-ए-तालिबान व अन्य जिहादी समूहों के विरुद्ध चला चुकी है।
इस ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम पर पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक ट्रिब्यून ने एक रिपोर्ट छापी है। इसमें बताया गया है कि यह ऑपरेशन उग्रपंथ तथा आतंकवाद पर निर्णायक लड़ाई के तौर पर चलाया जाएगा। इसकी कामयाबी के लिए आतंकवाद से जुड़े विषयों में रुकावट बनने वाले कानूनी दावपेंचों को बेअसर किया जाएगा चाहे इसके लिए नए कानून बनाने पड़ें। लिखा गया है कि यह पाकिस्तान की अपनी जंग है, जो देश को बचाने के लिए बहुत आवश्यक है।
विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान का यह कदम साफ तौर पर दिखाता है कि उस पर चीन का भारी दबाव है जिसके चलते यह कार्रवाई करने की घोषणा की गई है। जैसा पहले बताया, चीन पिछले लंबे वक्त से विशेषकर पीओजेके में ‘उग्रपंथ और अलगाववाद’ के विरुद्ध सैन्य आपरेशन की मांग करता आ रहा था।
अभी 21 जून को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग में मंत्री लियु जियानचाओ ने पाकिस्तान आकर विभिन्न दलों के नेताओं के साथ चर्चा चलाई थी। इसमें शरीफ सरकार की उग्रपंथ पर लचर प्रतिक्रिया के प्रति नाराजगी जताई गई थी। लियु ने पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष मुनीर से भी भेंट की। इन चर्चाओं को ध्यान में रखकर और चीन के पाकिस्तान पर कसते शिकंजे को देखते हुए आनन—फानन में इस सैन्य आपरेशन का खाका तैयार करके उसे मंजूरी दी गई है।
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