दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा कथित सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर मानहानि केस पर दिल्ली की कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब कोर्ट इस मामले में 22 दिन बाद 1 जुलाई, 2024 को सजा का सुनाएगी। मानहानि केस में मेधा पाटकर को पिछले माह मई में अदालत ने दोषी करार दिया था।
क्या है पूरा मामला
कथित सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और वीके सक्सेना के बीच वर्ष 2000 से ही लड़ाई चल रही है। जब उन्होंने नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ अखबारों में एड देने के मामले में मेधा पाटकर के खिलाफ एक केस फाइल किया था। उस दौरान एलजी वीके सक्सेना गुजरात के अहमदाबाद स्थित एक एनजीओ काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के चीफ थे।
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मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना पर हवाला लेन-देन में शामिल होने और गुजरात के संसाधनों को विदेशियों के हाथों में गिरवी रखने का आरोप भी लगाया था।
इसी के बाद वीके सक्सेना ने समाजसेवी के खिलाफ मानहानि का केस किया था। बीते 24 मई को इस मामले पर सुनवाई के दौरान ये पाया कि पाटकर के आरोप न केवल अपमानजनक था, बल्कि यह नकारात्मक भावनाओं को भड़काने की एक कोशिश थी। कोर्ट ने माना था कि मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना की ईमानदारी और सार्वदजनिक सेवा पर हमला करने की कोशिशें की थी।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा में मेधा पाटकर को दोषी करार देते हुए कहा था कि आरोपी मेधा पाटकर ने जानबूझकर शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से एड प्रकाशित किए थे। इस मामले एलजी सक्सेना के वकील में पाटकर को अधिकतम सजा सुनाने की मांग की थी। साथ ही यह उदाहरण स्थापित करने की मांग की थी कि इस तरह के अपराध पर 2 वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनों ही हो सकते हैं। बहरहाल अब दोषी मेधा पाटकर को एक जुलाई को सजा सुनाई जाएगी।
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