इस्लामाबाद । इस्लामाबाद हाईकोर्ट में एक सुनवाई के दौरान, फेडरल प्रॉसिक्यूटर जनरल (सरकारी वकील) ने एक बयान दिया, जिसने खुद पाकिस्तान की ही पोल खोल दी। पाकिस्तान अधिक्रांत वाले कश्मीर (पीओके) को लेकर दिए गए इस महत्वपूर्ण वक्तव्य ने पाकिस्तान के आधिकारिक रुख को सवालों के घेरे में ला कर भारत के पक्ष को मजबूत कर दिया है।
अहमद फरहाद की गिरफ्तारी का मामला
मामला इस्लामाबाद से अगवा किए गए कवि अहमद फरहाद का है। फरहाद की गिरफ्तारी के बाद उन्हें पीओके में ले जाया गया था। सरकारी वकील ने कोर्ट में बताया कि फरहाद को “आजाद कश्मीर” में 2 जून तक रिमांड पर रखा गया है। इस बयान में “आजाद कश्मीर” को एक विदेशी क्षेत्र के रूप में पेश किया गया।
सरकारी वकील का बयान
सरकारी वकील का कहना था कि फरहाद को इस्लामाबाद की अदालत में पेश नहीं किया जा सकता क्योंकि “आजाद कश्मीर” पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक विदेशी क्षेत्र है। इस बयान ने कोर्ट में हड़कंप मचा दिया। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जज ने भी इस दावे पर हैरानी जताते हुए कहा, “अगर ‘आजाद कश्मीर’ एक विदेशी क्षेत्र है, तो फिर पाकिस्तानी रेंजर्स वहां पाकिस्तान से कैसे प्रवेश कर गए।”
पाकिस्तान के दावे पर सवाल
सरकारी वकील के इस बयान ने पाकिस्तान के आधिकारिक रुख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पाकिस्तान लंबे समय से पीओके को अपना हिस्सा बताता आया है और इसे “आजाद कश्मीर” के रूप में परिभाषित करता है। लेकिन सरकारी वकील के इस बयान ने यह साफ कर दिया कि पीओके पाकिस्तान का क्षेत्र नहीं बल्कि पाकिस्तान द्वारा अधिक्रांत है, यानि विदेशी भूमि जिस पर कब्ज़ा कर रखा है. इस बयाँ से यह साफ है कि खुद पाकिस्तान के अधिकारी भी पीओके को विदेशी क्षेत्र मानते हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
इस बयान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक प्रभाव हो सकता है। भारत लंबे समय से पीओके को अवैध कब्जे वाला क्षेत्र मानता आया है और इसे अपना अभिन्न अंग बताता है। पाकिस्तान के सरकारी वकील का यह बयान भारत के दावे को मजबूत करता है।
स्थानीय प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के अंदर भी इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। कई विश्लेषकों और राजनीतिक दलों ने इसे पाकिस्तान की कूटनीतिक असफलता बताया है। उन्होंने कहा है कि इस तरह का बयान न केवल पाकिस्तान की आधिकारिक नीति के खिलाफ है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान की स्थिति को कमजोर कर सकता है।
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