7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास द्वारा किए गए हमलों के बाद जब इजरायल ने हमला शुरू किया, तो पूरे विश्व में हमास के समर्थक फिलिस्तीन की आड़ लेकर आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर आए थे। अभी तक उतरे हुए हैं। इनसे ग्रीस भी अछूता नहीं है। ग्रीस में भी नवंबर में आंदोलन हुए थे, जिनका आयोजन ट्रेड यूनियन पीएएमई ने कराया था, और जिनमें लेफ्ट विंग के दल और संगठन और ग्रीस में फिलिस्तीनी समाज के कई लोग शामिल थे।
मई 2024 में जब विरोध प्रदर्शन हो रहा था उस समय ग्रीस में एक ऐसे होटल पर भी हमले का प्रयास किया गया, जो इजरायली के स्वामित्व में है। ग्रीस की राजधानी एथेंस में होटल “ब्राउन” के बाहर भीड़ दंगा कर रही थी। उस समय पुलिस ने सख्ती बरतते हुए उन्हें हटा दिया। ग्रीस की सरकार ने यह पुष्टि की थी कि उस हमले में इजरायल का कोई भी व्यक्ति मारा नहीं गया है।
इतना होने के बाद भी विरोध प्रदर्शन चलते रहे। इसके बाद यूनिवर्सिटी ऑफ एथेंस के लॉ कॉलेज में विद्यार्थियों द्वारा फिलिस्तीन के पक्ष में विरोध प्रदर्शन किया गया। एथेंस यूनिवर्सिटी के लॉ स्कूल की बिल्डिंग को 14 मई को हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले विद्यार्थियों द्वारा घेर लिया गया था। उन्हें तितर बितर करने के लिए पुलिस का सहारा लिया गया था। और कई लोगों को हिरासत में लिया गया था। विरोध प्रदर्शन लेफ्ट विंग की विद्यार्थी यूनियन द्वारा आयोजित किए गए थे, जो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ ग्रीस की विचारधारा के निकट है। यह देश की चौथी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। विरोध प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों के पास फिलिस्तीन के झंडे और बैनर थे। उन्होंने तत्काल ही युद्ध विराम की मांग की थी। मगर इस आंदोलन के बाद ग्रीस सरकार हरकत में आई और अब एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने यह तय किया है कि वह आंदोलन कर रहे विदेशी छात्रों को वापस उनके देश भेजेगी?
Greece to Deport Foreign Students Engaged in Anti-Israel Protests.
In response to escalating protests against Israel on university campuses, the Greek government has announced the deportation of 9 foreign students from the United Kingdom and European Union member states. These…
— Israel War Room (@IsraelWarRoom) May 28, 2024
शांति भंग करने के आरोपों में कुल 28 लोगों को ग्रीस की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इनमें से नौ विदेशी लोगों को “अवांछित विदेशियों” की श्रेणी में रखा गया और उन्हें देश की कानून व्यवस्था के लिए खतरा माना गया और अब उन्हें डिपोर्ट किया जा रहा है। हालांकि एथेंस में गिरफ्तार हुए और उसके बाद अपने देश वापस भेजे जाने वाले लोगों के वकीलों का कहना है कि यह गलत हो रहा है। इन विद्यार्थियों की कोई गलती नहीं है। मीडिया के अनुसार उनका यह कहना है कि इन नागरिकों ने कुछ गलत नहीं किया है। अल जजीरा के अनुसार निष्कासन के लिए नजरबंद किए गए लोगों ने कहा कि उन्हें यूनिवर्सिटी के भीतर किए गए विरोध प्रदर्शनों को लेकर बहुत ही कठोर दंड दिया जा रहा है। उन्होनें ग्रीक सरकार के इस कदम को अतिप्रतिक्रियावादी कहा।
वहीं ग्रीस के प्रधानमंत्री के अनुसार सरकार किसी भी कीमत पर इजरायल के गाजा पर उठाए गए कदमों को लेकर यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन स्वीकार नहीं करेगी। ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने वर्ष 2019 में एक दशक पुराने कानून को हटा दिया था, जिसके अनुसार पहले सुरक्षा सेवाओं के विश्वविद्यालय परिसरों में प्रवेश प्रतिबंधित था। ग्रीस की वर्ष 2000 तक की नीति जहां फिलिस्तीन समर्थन की थी, तो वहीं वर्ष 2000 के बाद उसकी नीति इजरायल समर्थक हो गई है। पिछले वर्ष दोबारा चुनकर आए मित्सोताकिस ने लगातार इजरायल के अपने रक्षा के अधिकार का समर्थन किया है और अक्टूबर 2023 में इजरायल पर हुए हमले के बाद वे इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्हू से मिले थे और उन्हें अपना अच्छा दोस्त बताया था। परंतु ग्रीस की लेफ्ट विंग पार्टी का रुख इजरायल विरोधी है और उसके नेताओं ने उन विद्यार्थियों के जबरन देश निकाले का विरोध किया है, जो इजरायल का विरोध करते समय ग्रीस की कानून व्यवस्था को धूमिल कर रहे थे।
टिप्पणियाँ