दिल्ली जल बोर्ड ने उन खबरों का खंडन किया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि यमुना नदी में हरियाणा से प्राप्त कच्चे पानी की कमी के कारण दिल्ली में जल संकट पैदा हो गया है। जल बोर्ड ने कहा है कि नदी का जल स्तर कई कारकों पर निर्भर है और वर्तमान में जल स्तर सामान्य से बेहतर है।
जल बोर्ड का बयान
बुधवार की शाम को जारी एक बयान में जल बोर्ड ने स्पष्ट किया कि वजीराबाद में यमुना नदी का जल स्तर मौसम की स्थिति, तापमान, जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा की स्थिति आदि कारकों पर निर्भर करता है। गर्मी के सीजन में जलस्तर के लिए कई कारक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। पिछले सालों के आंकड़ों का हवाला देते हुए जल बोर्ड ने कहा कि मई 2021 और मई 2022 की तुलना में वजीराबाद में दैनिक आधार पर यमुना नदी का जल स्तर मई 2024 में ज्यादा है।
ग्रीष्मकालीन कार्ययोजना
जल बोर्ड ने बताया कि ग्रीष्मकालीन कार्ययोजना के तहत पाइप लाइनों के माध्यम से पानी की आपूर्ति के अलावा जरूरतमंद क्षेत्रों में टैंकर के माध्यम से भी पानी की आपूर्ति की जा रही है। जल बोर्ड ने यह भी कहा है कि वह मांग को पूरा करने और मौजूदा गर्मी के मौसम में किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
जल मंत्री आतिशी के आरोप
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार में जल मंत्री और आप नेता आतिशी ने आरोप लगाया है कि भाजपा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली में पानी की किल्लत पैदा कर रही है। आतिशी ने बुधवार को एक पत्रकार वार्ता में कहा कि भाजपा की हरियाणा सरकार दिल्ली के हिस्से का पानी यमुना में छोड़ना बंद कर दिया है, जिससे दिल्ली में जल संयंत्रों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले को हरियाणा सरकार के सामने उठाया गया है और अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट का भी रुख करेंगे। उन्होंने दिल्ली के लोगों को सतर्क करते हुए कहा कि 25 मई तक दिल्ली के मतदाताओं को बरगलाने के लिए ऐसी साजिशें रची जाएंगी।
आतिशी ने भाजपा पर लगाए थे आरोप
आतिशी ने कहा कि लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से भाजपा आप के खिलाफ रोज नई-नई साजिशें रच रही है। पहले केजरीवाल को बिना किसी सबूत के ईडी से गिरफ्तार कराया गया, फिर स्वाति मालीवाल का प्रयोग करके मुख्यमंत्री को बदनाम करने की कोशिश की गई। अब हरियाणा सरकार के माध्यम से दिल्ली का पानी रोक दिया गया है।
वहीं अब दिल्ली जल बोर्ड के बयान और इस घटनाक्रम ने दिल्ली में जल संकट को लेकर राजनीति को गर्मा दिया है। जल बोर्ड और दिल्ली सरकार के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप ने इस मुद्दे को और भी पेचीदा बना दिया है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले का क्या निपटारा होता है और दिल्लीवासियों को पानी की समस्या से कब राहत मिलती है।
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