तेरह मई की सुबह एक खबर मीडिया पोर्टलों पर तैरने लगी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के निजी सहायक ने आम आदमी पार्टी (आआपा) की नेता और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हाथापाई की। गुस्साई स्वाति ने दिल्ली पुलिस को आनन-फानन में फोन लगा दिया और कंट्रोल रूम में अपनी शिकायत दर्ज कराई। बाद में वे सिविल लाइंस थाने भी गईं और पुलिस से कहा कि वे बाद में लिखित शिकायत दर्ज कराने आएंगी। स्वाति मालीवाल जब तक दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष थीं, तब तक अपने क्रियाकलापों से लगातार चर्चा में रहा ही करती थीं। मगर अब खुद ही खबर बनी हुई हैं। जो मालीवाल महिलाओं को न्याय दिलाने का दम भरती नजर आती थीं, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के खिलाफ आवाज उठाती थीं, दुर्भाग्य आज वे अपनी ही बात नहीं रख पा रही हैं।
इस पूरी घटना पर दिल्ली पुलिस के डीसीपी (नॉर्थ) मनोज मीणा का कहना था कि हमें सुबह 9:34 बजे एक पीसीआर कॉल मिली, जिसमें फोन करने वाली महिला ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास के अंदर उनके साथ मारपीट की गई है। तद्नुसार, स्थानीय पुलिस और एसएचओ ने कॉल का जवाब दिया। कुछ देर बाद स्वाति मालीवाल थाना सिविल लाइन आईं। उनकी ओर से कोई शिकायत नहीं की गई। ना ही अभी तक इस मामले में कोई शिकायत दर्ज कराई गई है। और यही बात सबसे चौंकाने और हैरान करने वाली है कि दूसरी महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए हर सीमा पार करने वाली स्वाति मालीवाल ने अपने साथ किए गए इस दुर्व्यवहार को लेकर लिखित में शिकायत क्यों दर्ज नहीं कराई है?
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि पार्टी की एक महिला नेता, जो न केवल राज्यसभा सांसद हैं, बल्कि महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं, मुख्यमंत्री आवास में उनके साथ ऐसा दुर्व्यवहार हो जाता है और आआपा और उसके नेता पूरी तरह से चुप्पी साधे रहते हैं! पार्टी का कोई भी पदाधिकारी इस मसले पर मुंह खोलने को तैयार नहीं है! जब बहुत ज्यादा भद पिटी है तो सांसद संजय सिंह मीडिया के सामने घटना का पक्ष रखते हुए लीपापोती करते दिखे।
दरअसल यह वही पार्टी है जो मणिपुर की महिलाओं से लेकर हाथरस की लड़कियों को ‘न्याय’ दिलाने के लिए आंदोलन करने को कमर कस रही थी, पर आज अपनी ही नेता के अपमान पर चुप है।
दिल्ली की महिलाओं को न्याय दिलाने का दंभ भरने वाले अरविंद केजरीवाल पूरी घटना पर मुंह सिले हुए हैं। और तो और ये वही स्वाति मालीवाल हैं जो बिना डरे मणिपुर चली जाती हैं और बाद में कहती हैं कि ‘भारतीय जनता पार्टी की सरकार यह नहीं चाहती कि सच सामने आए’। वही स्वाति अपने साथ हुए सच को दबाए क्यों बैठी रहीं? राजनीतिक कारणों से उनका संदेशखाली जैसे स्थानों पर पीड़ित महिलाओं के पक्ष में न बोलना समझ में आता है, परंतु अपने लिए? क्या वे अपने लिए भी किसी राजनीतिक कारण से मौन रहीं?
आआपा को नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि कुछ तो है, जो स्वाति मालीवाल के मामले में सही नही है। क्योंकि हाल ही में आआपा की जो ‘स्टार कैम्पेनर’ की सूची जारी की गई थी, उसमें अरविन्द केजरीवाल के बाद जो नाम है वह हैरान करने वाला है। यह दूसरा नाम है सुनीता केजरीवाल। तो क्या यह राजनीतिक विरासत को लेकर हुई किसी बहस का परिणाम है? जेल से चुनाव तक के लिए अंतरिम जमानत पर बाहर आए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। उन्होंने प्रश्न उठाया था कि जब प्रधानमंत्री मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे तो अपनी राजनीतिक विरासत किसे सौंपकर जाएंगे?
उनका कहना था कि जल्दी ही मोदी जी गृह मंत्री अमित शाह को गद्दी सौंप देंगे। मगर यहां पर एक बात समझने वाली है कि भारतीय जनता पार्टी एक कैडर आधारित पार्टी है। वहां निर्णय परिवार के आधार पर नहीं बल्कि योग्यता और पार्टी मापदंडों के आधार पर लिए जाते हैं। परंतु आम आदमी पार्टी के साथ ऐसा प्रतीत नहीं होता। कम से कम जब अरविंद केजरीवाल जेल में थे, तो उस दौरान पार्टी की कमान किसी नेता के हाथ में न होकर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल के हाथों में थी। वही सुनीता केजरीवाल, जो पार्टी में किसी भी पद पर न होकर भी स्टार कैम्पेनर की सूची में दूसरे स्थान पर हैं। जबकि राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर रहीं और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल का नाम इस सूची में है ही नहीं।
यदि यह सूची सही है तो प्रश्न अरविंद केजरीवाल पर उठते ही हैं और उठेंगे ही कि कैसे एक पूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान के राजनीतिक सफर को एक गैर राजनीतिक व्यक्ति के नाम के नीचे रख दिया जाता है? केवल इसलिए क्योंकि सुनीता केजरीवाल, अरविंद केजरीवाल की पत्नी हैं। खुद को गरीबों, पिछड़ों के मसीहा बताने वाले लालू प्रसाद यादव जब चारा घोटाले के कारण जेल गए तो अपनी राजनीतिक विरासत अपनी गैर-राजनीतिक पत्नी के हवाले कर गए थे। उन्होंने अपनी पार्टी से किसी और को इस योग्य नहीं समझा था। क्या अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली को बिहार जैसी प्रयोगशाला बनाना चाहते हैं या फिर यह साबित करना चाहते हैं कि परिवारवाद का विरोध करके सत्ता में आई आम आदमी पार्टी विरासत के नाम पर एक ही परिवार की गुलाम बनकर रह जाएगी?
बहरहाल, अरविंद केजरीवाल आज चौतरफा फंसे नजर आते हैं। उनकी पूरी पार्टी भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी हुई है। एक नेता बाहर आता है तो एक अंदर जाने की तैयारी में होता है। लिहाजा आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी कई बार इससे उकताए नजर आते हैं और ‘स्वराज’ से लेकर शराब घोटाले तक की यात्रा पर अंदर ही अंदर विरोध करते हैं। लेकिन अब स्वाति मालीवाल की मुख्यमंत्री आवास में हुई पिटाई ने केजरीवाल के उस चेहरे से भी नकाब उतार फेंका है।
टिप्पणियाँ