UNESCO Ramcharitmanas: भारतीय साहित्य और संस्कृति की पहचान रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोचन को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में सम्मिलित किया गया है। जो देश के लिए एक गौरव का पल है, क्योंकि भारत की इन गौरवशाली रचनाओं का यह समावेश यह साबित करता है कि भारत की समृद्ध साहित्यिक विरासत और सांस्कृतिक विरासत कितनी विस्तृत है।
दरअसल, उलानबटार में मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (MOWCAP) की 10वीं बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) ने इस उपलब्धि को हासिल करने में अहम भूमिका निभाई। इस बैठक में सदस्य देशों के 38 प्रतिनिधि, 40 पर्यवेक्षकों और नामांकित व्यक्ति इक्ट्ठा हुए थे। जिनमें IGNCA ने तीन भारतीय नामांकनों का समर्थन करते हुए ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोचन का स्थान सुरक्षित किया।
बतादें, रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयालोक-लोचन इस तरह की कालजयी रचनाएं हैं जिन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है, इतना ही नहीं इन रचनाओं ने देश की नैतिकता और कलात्मकता को आकार भी दिया है। इन साहित्यिक कृतियों ने अपने पाठकों के ह्दय में एक अमिट छाप छोड़ी है। इन रचनाओं ‘सहृदयालोक-लोचन’, ‘पंचतंत्र’ और ‘रामचरितमानस’ के रचनाकार पं. आचार्य आनंदवर्धन, विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास थे।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में कला निधि विभाग के डीन और विभाग प्रमुख प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ ने भारत की तरफ से इन तीन प्रविष्टियों ‘राम चरित मानस’, ‘पंचतंत्र’ और ‘सहृदयालोक-लोचन’ को इतना प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया कि यह ऐतिहासिक उपलब्धि को प्राप्त करने में सफलता मिली।
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