इस देश के हिंदुओं का दुर्भाग्य है कि कुछ हिंदुओं ने ही अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए इस्लामी आतंकवाद के समानांतर ‘हिंदू आतंकवाद’ की झूठी कहानी गढ़ी। इस झूठी कहानी को सही सिद्ध करने के लिए निर्दोष हिंदुओं को पकड़ कर जेल में डाला गया। वहां उनकी इतनी पिटाई की गई कि उनमें से सभी लोग आज भी ठीक से चल भी नहीं पा रहे हैं। ऐसे लोग ईश्वर की कृपा से जिंदा हैं। उनमें से एक मैं भी हूं।
2008 में मैं भोपाल में सामाजिक कार्य करता था। मां भारती की सेवा के लिए मैंने विवाह भी नहीं किया। लेकिन मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मुझ पर बम विस्फोट करने का आरोप लगेगा और मुझे 9 वर्ष तक नारकीय जीवन जेल में बिताना पड़ेगा। अभी भी मुझ पर मुकदमा चल रहा है। मेरी गिरफ्तारी झूठ बोल कर हुई। वह 25 अक्तूबर, 2008 का दिन था। उस दिन मैं ग्वालियर जा रहा था। भोपाल में अपने घर से निकल कर रेलवे स्टेशन की ओर जा रहा था, तभी रास्ते में दो-तीन लोग मिले। उन्होंने मुझसे पूछा कि कहां जा रहे हैं? मैं उनके सवाल से थोड़ा चकित हुआ, लेकिन मैं खुलेमन का हूं। इसलिए मैंने बताया कि दीपावली कार्यक्रम के लिए ग्वालियर जा रहा हूं। इसके साथ ही मैंने उन लोगों को भी दीपावली की शुभकामनाएं दीं। फिर मैंने उनका परिचय पूछा। पता चला कि वे मुंबई पुलिस से हैं।
परिचय देने के साथ ही उन्होंने मुझसे कहा कि आपकी जान को खतरा है। इसलिए 15 मिनट के लिए हम लोगों के साथ चलिए। चूंकि वे पुलिस वाले थे, इसलिए मैं उनकी बात टाल नहीं पाया और उनकी गाड़ी में बैठ गया। वे लोग मुझे सीधे राजा भोज हवाई अड्डे ले गए। वहां एक चार्टर्ड विमान खड़ा था। उसमें बैठाकर वे लोग मुझे मुंबई ले गए। रास्ते में मैं पूछता रहा कि यह क्या हो रहा है, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया। मुंबई में वे लोग मुझे कालाचौकी पुलिस स्टेशन ले गए। वहां महाराष्ट्र ए.टी.एस. का दफ्तर है। वहीं पता चला कि मुझ पर मालेगांव में बम धमाका करने का आरोप लगाया गया है।
माफी की मांग
दिसंबर, 2021 में मालेगांव बम विस्फोट के एक गवाह ने अदालत को बताया था कि ए.टी.एस. ने उस पर दबाव डाला था कि वह इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के नेताओं का नाम ले। इसके बाद संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य इंद्रेश कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद से माफी की मांग की थी। उन्होंने कहा था,‘‘गवाह के बयान ने सिद्ध कर दिया है कि उस समय के कथित ‘भगवा आतंकवाद’ के सभी मामले कांग्रेस द्वारा अपनी गंदी राजनीति के अंतर्गत रचे गए षड्यंत्र थे।’’ उन्होंने अब विपक्ष में बैठे अन्य राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने भी ‘एक बड़ा पाप और अपराध’ किया है, क्योंकि वे कांग्रेस और उसकी गठबंधन सरकार की ‘गंदी राजनीति और झूठी साजिश’ के साथ खड़े थे, ताकि ‘भगवा आतंकवाद’ मामले में भाजपा और संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को फंसाया जा सके।
सात पर चल रहा है मुकदमा
मालेगांव मामले में मुंबई ए.टी.एस. ने 12 और एन.आई.ए. ने दो आरोपियों को पकड़ा था। इनमें से सात आरोपी 27 दिसंबर, 2017 को दोषमुक्त हो चुके हैं। अभी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, समीर शरद कुलकर्णी, मेजर रमेश शिवजी उपाध्याय, अजय एकनाथ राहिरकर, ले.कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, सुधाकर उदयभान धर द्विवेदी (शंकराचार्य) और सुधाकर ओंकारनाथ चतुर्वेदी के विरुद्ध मामला चल रहा है।
भगवान की कसम खाकर मैं बताना चाहता हूं कि मैं कभी मालेगांव गया भी नहीं। मुझे मुंबई में किसी संग्राम सिंह के नाम पर रखा गया। वहां मालेगांव बम विस्फोट, अजमेर विस्फोट, समझौता एक्सप्रेस विस्फोट, मक्का मस्जिद विस्फोट, मोडासा विस्फोट आदि के बारे में पूछताछ की जाती थी। इस बहाने पुलिस वाले मुझे 20-20 घंटे लाठी और चमड़े के पट्टे से पीटते थे। हर दिन 30-40 प्लास्टिक की लाठियां मुझे मारते हुए टूटती थीं। मुझे जान से मारने का प्रयास किया गया। मार-मार कर मेरे तीन दांत तोड़ दिए गए। इतनी पिटाई होती थी कि कई वर्ष तक पूरा शरीर सूजा रहा। यह यातना उस बात के लिए दी गई, जिसके बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता था।
पुलिस वालों के आरोप को मैं कबूल लूं, इसके लिए जब भी उनका मन होता था, तभी मेरी पिटाई की जाती थी। वे यह भी कहते थे कि मालेगांव मामले में तुम योगी आदित्यनाथ, श्री श्री रविशंकर, प्रवीण तोगड़िया जैसे लोगों के नाम लो। मैं इन लोगों से आज तक नहीं मिला हूं। ऐसे में मैं कैसे इन लोगों के नाम लेता। इस बात पर भी पुलिस वाले मुझे कभी भी पीटने लगते थे। मुझे और अन्य आरोपियों को जबरदस्ती मांस खिलाने का प्रयास किया गया। मेरे पास जो धार्मिक पुस्तकें थीं, उन्हें मुंबई पुलिस ने फाड़कर पैरों तले कुचला। यही नहीं, जाति और धर्म के नाम से बेहद आपत्तिजनक गालियां दी जाती थीं। मेरी वृद्ध मां को, जिन्हें सुनाई नहीं देता, उन्हें पुलिस थाने में बैठाकर अपमानित किया जाता। उन्हें नौ वर्ष तक घर पर नहीं रहने दिया।
मैं बहुत ही जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि मेरे या अन्य आरोपियों के साथ जो कुछ हो रहा है, उसके लिए केवल और केवल कांग्रेस जिम्मेदार है। सोनिया-मनमोहन सरकार ने जगह-जगह बम फोड़ने वाले जिहादियों के विरुद्ध इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की, क्योंकि उसे लग रहा था कि इससे उसका वोट बैंक नाराज हो जाएगा। इसलिए उसने ‘हिंदू आतंकवाद’ का झूठ प्रचारित करने के लिए कुछ हिंदुओं को गिरफ्तार किया। दुनिया को यह जताया कि भारत में ‘हिंदू भी आतंकवादी होते हैं।’ कांग्रेस को इस पाप का दंड मिलना ही चाहिए। जो भी अपने को सच्चा हिंदू मानते हैं, वे कभी कांग्रेस को वोट न दें।
मुझे इतना मारा गया कि मैं जेल में वॉकर के सहारे चलता था। अभी भी मैं ठीक से चल नहीं सकता। कमर पर बेल्ट लगाकर दो-चार मिनट चल लेता हूं। हम जितने भी आरोपी हैं, सबका यही हाल है। हम लोगों की बात कभी किसी अदालत ने नहीं सुनी। अभी भी ट्रायल कोर्ट में मेरा कोई वकील नहीं है। न्यायालय में अपनी पैरवी खुद ही करता हूं। जेल में मैं नौ वर्ष तक रहा। कभी मुझसे कोई मिलने नहीं आया, न ही किसी ने कोई पत्र लिखा। मुझे जेल के अति सुरक्षा खंड (अंडा सेल) में रखा गया था। दो जोड़े कपड़े में 365 दिन निकाले। बहुत ही साधारण खाना खाकर भी जेल में 27 बार रक्तदान किया।
2017 में मुझे सशर्त जमानत मिली। घर लौटा तो देखा कि वह कबूतरखाना बन चुका है। बिजली विभाग वाले मीटर खोल कर ले गए थे। अदालती कार्रवाई के लिए प्रतिदिन पुणे से मुंबई जाता हूं। हालांकि 30 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिलने के बाद प्रतिदिन मुंबई जाने की जरूरत नहीं रह गई है।
मैं बहुत ही जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि मेरे या अन्य आरोपियों के साथ जो कुछ हो रहा है, उसके लिए केवल और केवल कांग्रेस जिम्मेदार है। सोनिया-मनमोहन सरकार ने जगह-जगह बम फोड़ने वाले जिहादियों के विरुद्ध इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की, क्योंकि उसे लग रहा था कि इससे उसका वोट बैंक नाराज हो जाएगा। इसलिए उसने ‘हिंदू आतंकवाद’ का झूठ प्रचारित करने के लिए कुछ हिंदुओं को गिरफ्तार किया। दुनिया को यह जताया कि भारत में ‘हिंदू भी आतंकवादी होते हैं।’ कांग्रेस को इस पाप का दंड मिलना ही चाहिए। जो भी अपने को सच्चा हिंदू मानते हैं, वे कभी कांग्रेस को वोट न दें।
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