एक तरफ जहां भारत दुनिया की पांचवी अर्थव्यवस्था से दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ बढ़ रहा है। दूसरी ओर आतंक की खेती करने वाला कंगाल पाकिस्तान एक बार फिर से कटोरा लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के दरवाजे पर 24वां ‘बेल आउट पैकेज’ मांग रहा है। इसके लिए उसकी आईएमएफ के साथ बातचीत भी शुरू हो चुकी है।
पाकिस्तानी पोर्टल द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, बेल आउट की शुरुआत 1.6 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए, जो कि पाकिस्तान की कुल जीडीपी का 1.5 प्रतिशत से अधिक के समायोजन के साथ होगी। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब के नेतृत्व में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद, फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के अध्यक्ष अमजद जुबैर तिवाना ने अपनी टीम के साथ आईएमएफ के पाकिस्तान मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर से मुलाकात की।
पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय ने स्टैंड बाय अरेंजमेंट (SBA) के लिए धन्यवाद देते हुए आईएमएफ को इस बात का भरोसा दिलाने की कोशिशें की कि इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अच्छी होगी।
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क्या है बेल आउट पैकेज
गौरतलब है कि बेलआउट पैकेज एक तरह की सहायता है, जो कि सरकार द्वारा संस्थाओं की बिगड़ी माली हालत को सुधारने के लिए जारी की जाती है। ये मुख्यतया दो तरीके से जारी किए जाते हैं। नेशनल और इंटरनेशनल बेल आउट पैकेज। जब भी किसी देश में बैंकों की माली हालत बिगड़ने लगती है तो सरकार बैंकों को बचाने के लिए बेलआउट पैकेज जारी करती है। इसके जरिए देश के आर्थिक संस्थानों को बचाने की कोशिशें की जाती हैं।
लेकिन, जब एक पूरे देश के हालात बुरे हो जाते हैं और वो देश दिवालियेपन की कगार पर खड़ा हो जाता है तो आईएमएफ उस देश को बेल आउट पैकेज जारी करता है। कोशिश होती है कि देश को कंगाली के दलदल से बाहर निकाला जा सके।
पाकिस्तान के हालात बहुत ही बुरे हैं। वह आईएमएफ से 23 बार बेलआउट पैकेज ले चुका है और अब 24वीं बार भी भीख का कटोरा लिए खड़ा हुआ है।
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