केरल: त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड ने कनेर के फूलों के पूजा में इस्तेमाल पर लगाया प्रतिबंध, ये हैं कारण
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केरल: त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड ने कनेर के फूलों के पूजा में इस्तेमाल पर लगाया प्रतिबंध, ये हैं कारण

कनेर के फूलों में ग्लाइकोसाइड्स होते हैं जो हृदय पर प्रभाव डालते हैं। पौधे के सभी भाग विषैले होते हैं।

by Kuldeep Singh
May 10, 2024, 08:53 am IST
in केरल
Travankor Devaswam board bans Arali flower

प्रतीकात्मक तस्वीर

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अरली यानि कि कनेर के पुष्प का प्रसादम और नैवेद्यम में इस्तेमाल को लेकर केरल स्थित त्रावणकोर देवास्वाम बोर्ड ने बड़ा फैसला लेते हुए इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। बोर्ड ने अरली के फूलों के जहरीले होने की प्रबल अटकलों को ध्यान में रखते हुए ये एक्शन लिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड के अध्यक्ष पीएस प्रशांत इसके बारे में जानकारी देते हुए कहते हैं कि अरली के फूलो को लेकर समुदायों के चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस तरह का निर्णय लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब से इसका फूल पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बोर्ड का यह फैसला आज से प्रभावी हो गया है।

इसे भी पढ़ें: Uttarakhand: पवित्र केदारनाथ धाम के कपाट खुले, PM मोदी की तरफ से CM ने की पहली पूजा, 10,000 श्रद्धालु रहे उपस्थित

इस फूल के इस्तेमाल पर बैन लगाने के मुख्य कारणों में से एक ये भी रहा कि हरिपद के रहने वाले सूर्य सुरेंद्रन ने कनेर की पत्ती को चबा लिया था। इसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इसी तरह से एक गाय और उसके बछड़े ने भी कनेर की पत्तियों को चबा लिया था। दरअसल, गाय और बछड़ा थेंगमम में मंजू भवन के वासुदेव कुरूप के थे। हुआ कुछ यूं कि उनके पड़ोसी ने अरली के पौधे को काटा था। जब गाय और बछ़ड़े को चरने के लिए छोड़ा तो उन्होंने चारा समझ कनेर के पत्तों को खा लिया।

इसके बाद दोनों को ही अपच हो गया, वक्त के साथ गाय और बछड़ा कमजोर हो गए। डॉक्टरों ने इलाज किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दोनों की मौत हो गई।

क्यों जहरीला होता है कनेर का फूल

बताया जाता है कि कनेर के फूलों में ग्लाइकोसाइड्स होते हैं जो हृदय पर प्रभाव डालते हैं। पौधे के सभी भाग विषैले होते हैं। आयुर्वेद में, कुछ तेल बनाने के लिए अरली के फूल को संशोधित और विषहरण किया जाता है। पीली और गुलाबी अरली का उपयोग पहले गांवों में बाड़ के रूप में किया जाता है।

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