कांग्रेस के युवराज और मीडिया में इनके प्रवक्ताओं की चिल्लाहट कि बीजेपी जीत गयी तो संविधान खत्म कर देंगे, देश में कोई संविधान नहीं होगा आदि सुनकर कान थक गए हैं। इनके नेताओं के साथ-साथ महागठबंधनी भी रोज यही विलाप राग गाकर अपना उल्लू साधने का प्रयास करते हैं। वास्तव में अपनी सत्ता की हवस को पूरा करने के लिए ये शर्मनाक से शर्मनाक हथकंडे अपना रहे हैं, पारिवारिक राजकुमार और अराजकतावादियों को कुछ भी बोलने में शर्म नही आती है ये इस बात का प्रतीक है कि मानसिक संतुलन में कुछ बिगड़ाओं आ गया है।
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कौन कर रहा है संविधान बदलने की बात?
वास्तव में यही महागठबंधन जो झूठे वायदे चुनाव में कर रहे हैं जो कि कभी भी वर्तमान संविधान में पूर्ण नहीं हो सकते। खुद संविधान को अपनी अराजकतावादी और तुष्टिकरण की नीतियों के कारण बदलेंगे। ज़रा इनके निम्नलिखित चुनावी वायदों पर गौर करें-
1) राहुल गाँधी अपने हर भाषण में बार-बार ये कह रहा है कि वो देश में आर्थिक सर्वेक्षण करवाएगा। यानि किसके पास कितनी संपत्ति है, कितने आभूषण है, कितनी जमीन है, बैंक बैलेंस है आदि। उसके बाद ये कहता है कि हम संपत्ति के बराबर वितरण की नीति बनाएंगे। क्या ये संविधान में परिवर्तन किए बिना संभव है? और वो भी उन लोगों के द्वारा जिन्होंने 1947 के बाद से इस देश में काले धन को पनपने दिया, लोगों को स्विट्ज़रलैंड में खाते खोल काला धन जाने दिया और सबसे मजे की बात तो यह है कि इन पर खुद पर कितना धन है? राहुल गाँधी तुम पर तुम्हारी माता जी पर, तुम्हारी बहन और जीजा के पास कितनी संपत्ति और धन है ये तो तुम्हे मालूम है। खड़गे और चिदम्बरम जैसे कांग्रेसी नेताओं के पास, लालू और अखिलेश यादव के परिवार के पास कितनी संपत्ति है यह तो उन सब को मालूम है न, इसके लिए तो कोई सर्वे की जरूरत नही है? तो भैया बाँट दो न गरीबों में। अडानी-अम्बानी तो लाखों लोगों को नौकरियां देते हैं और ये परिवार सिर्फ पारिवारिक दास बनाते हैं। अगर सर्वे के बाद ही करना है तो फिर खुल कर क्यों नहीं कहते कि हम इसके लिए संविधान बदलेंगे और ये बदलाव सैम पित्रोदा के निर्देशानुसार होगा।
2) प्रतिदिन राहुल ये घोषणा कर रहे हैं कि उसका उद्देश्य जातिगत जनगणना कराना है और इस जातिगत जनगणना के बाद समस्त सरकारी पदों को जातियों के प्रतिशत पर आधारित किया जाएगा। सबसे पहले तो ये भारत के उन महान सामाजिक सुधारकों का अपमान है और दूसरा ये अंग्रेजों की फूट डालो की नीति को आगे बढ़ाना है। अंग्रेज फूट डालकर राज करते थे और इन्होने 1947 के बाद से राज करके फूट डाली और अब पूरी तरह समाज को तोड़ने में लगे हैं। जो ये करने को कह रहे हैं क्या वो संविधान को बदले बिना किया जा सकता है? नहीं! वास्तव में ये घोषणाएं उन विदेशी शक्तियों के प्रभाव में की जा रही है जो भारत को एक आर्थिक शक्ति बनने से रोकना चाहती है। कांग्रेस की चीन के साथ गुप्त संधि इसका सबसे बड़ा प्रमाण है और मजे की बात तो यह है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं तक को ये तक नहीं मालूम है कि उस संधि में क्या है? राहुल की यात्राओं में और विदेशों में की गई सभाओं में सोरोस के एजेंटो की उपस्थिति इसका एक अन्य प्रमाण है।
3) कांग्रेस ने धर्म में आधार पर मुसलमानों को आरक्षण देने का दो तीन बार प्रयास किया परन्तु न्यायालय ने इन्हें असंवैधानिक बता कर रद्द कर दिया। अब एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण का वायदा कांग्रेस और लालू यादव इस चुनाव में कर रहे हैं और धर्म के नाम पर इन्हें केवल मुस्लिम ही दिखाई देते हैं अल्पसंख्यक के रूप में जैन, बौद्ध, सिख, पारसी आदि तो इनके लिए अल्पसंख्यक है ही नहीं। तो समझिए की इनका एजेंडा क्या है? क्या ये धार्मिक आरक्षण बिना संविधान में परिवर्तन किये आ सकता है? क्या आरक्षण की सीमा 50% से अधिक बिना संविधान बदले बढ़ाई जा सकती है? नहीं! अगर ये ऐसा करने को कह रहे हैं तो इनका कहना मात्र भी बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा भारतीय संविधान में रखे गये प्रावधानों को भेदना है।
4) संविधान को कौनसी धारा ये कहती है कि बांग्लादेश और बर्मा से आए मुस्लिम घुसपैठियों को शरण दो, उनके राशन कार्ड बनवाओ और यहाँ तक की झूठे पहचान पत्र बनाकर उन्हें भारतीय नागरिक भी चुप-चाप बनवा दो। और यहीं नही, मत भूलो कि 2013 में इन्होंने रोहिंग्याओं को जम्मू की छावनी के ठीक पीछे जा बसाया था। लगभग 2 लाख से ऊपर पाकिस्तानी जो कांग्रेस के काल में वीजा लेकर भारत आए थे यहाँ गायब हो गए। क्या किया कांग्रेस की सरकार ने? राहुल, ममता, लालू, अखिलेश और वामपंथी इन बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को भारत का नागरिक बनाने पर उतावले हैं और यदि इन्हें कभी भूल से भी सत्ता मिल गयी तो ये संविधान में परिवर्तन कर ये कांड भी कर देंगे।
5) क्या भारत के संविधान में घोटाले और भ्रष्टाचार करने का भी अधिकार दिया गया है? तो फिर कांग्रेस राज में इतने बड़े-बड़े घोटाले कैसे हो गये? क्या ये संविधान का उल्लंघन नही है? तो क्या राहुल गाँधी अब संविधान में ये परिवर्तन करेंगे कि कांग्रेस और उसके महागठबंधनियों को घोटाले करने का पूरा अधिकार है और केवल गैर-कांग्रेसियों को ही घोटाले में पकड़ा जा सकता है?
6) क्या भारतीय संविधान में यह प्रावधान है कि विदेशों में जाकर भारत का अपमान करो, भारत को नीचा दिखाओं और भारतीय सरकार के विरुद्ध प्रचार करो? तो क्या अब राहुल इसके लिए भी संविधान में परिवर्तन करवाएगा कि अगर भारत में गैर-कांग्रेसी सरकार है तो कांग्रेसियों को ये पूरा अधिकार है कि वो विश्व भर में भारत की निंदा कर सकते है।
7) क्या संविधान में यह प्रावधान है कि भारतीय सैनिकों के बलिदानों की, उनके शौर्य की और उनके दुश्मनों के दांत खट्टे करने की भर्त्सना की जाए? उनके वीरतापूर्ण अभियानों के उपर ऐसे प्रश्न उठाए जाएं कि हमारे दुश्मन इनके वक्तव्य संयुक्त राष्ट्र तक में गाते फिरे। क्या राहुल इसको लेकर भी संविधान में परिवर्तन करेंगे कि यदि कांग्रेसियों की सरकार नहीं है तो कांग्रेसियों को इसका पूरा अधिकार है? वास्तव में आज हमारे अधिकार, हमारा संविधान और हमारी अखंडता सुरक्षित इसलिए है कि हमारे देश का जवान 24 घंटे बर्फीले पहाड़ों पर, घने जंगलों में, समुन्द्र की भयंकर लहरों के बीच दुश्मनों के विरुद्ध एक प्रहरी बन कर खड़ा है।
8) जो लोग भारत तेरे टुकड़े होंगे नारे लगाने वालो का साथ देते हैं, काश्मीर के प्रथक्ता वादियों और यासीन मालिक जैसे कातिलों को अपना मेहमान बनाकर रखते हैं, जिन्होंने 370 ने नाम पर कुछ परिवारों को कश्मीर में जनता को लूटने दिया और जिसकी माता आतंकियों के एनकाउंटर पर आँसू बहाती है क्या उन्हें देश के संविधान की चिंता है? यह तो 370 को फिर से लाने की तैयारी में लगे हैं तो क्या राहुल गाँधी संविधान में यह भी लाएंगे कि आतंकियों से सहानुभूति, उनके एनकाउंटर पर आँसू बहाना और गैर-सरकारी प्रधानमंत्री को चोर बताना सब जायज़ है।
9) भारत की जनता के साथ कांग्रेस की इस घोषणा से बड़ा मजाक और कोई नहीं हो सकता कि वो जून 2024 के बाद भारत की हर महिला को प्रतिवर्ष 1 लाख रुपए देंगे। ज़रा सोचिए 140 करोड़ के देश में अगर 60 करोड़ भी महिलाएं है तो प्रतिवर्ष ये 60 लाख करोड़ रुपए कहां से लाएंगे? क्या इसके लिए इन्हें संविधान में परिवर्तन नहीं करना होगा कि कांग्रेस की सरकारें देश को गिरवी रख चीन जैसे दुष्ट महाजन से ऋण ले सकते हैं।
10) आखिर में जिन-पिंग के पदचिन्हों पर चलते हुए राहुल गाँधी तीन बातें भारतीय संविधान में और ला सकते है-
अ) भारत का प्रधानमंत्री केवल नेहरु के वंश का या उस वंश का दास ही हो सकता है।
ब) संविधान के अनुसार नेहरु-गाँधी परिवार राष्ट्रीय वंश है।
स) भारत के संविधान के अनुसार जो छूट भारत के राष्ट्रपति और राज्यपालों को किसी भी अपराध के सन्दर्भ में मिली हुए है वो सारी छूट कांग्रेस के मंत्रियों पर भी लागू होंगी यानी किसी भी कांग्रेसी मंत्री को भ्रष्टाचार या किसी भी अपराध के लिए न गिरफ्तार किया जा सकता है और न ही उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है। यही नहीं यह छूट इनके निजी सचिव और नौकरों पर भी लागू होगी और वो करोड़ों रुपए अपने घरों और तिजोरियों में रख सकते हैं।
कांग्रेसी संविधान के साथ जो खिलवाड़ और परिवर्तन करना चाहते है यह केवल एक कल्पना या भय मात्र नहीं है सब यह जानते हैं कि किस प्रकार से आपातकालीन स्थिति के दौरान कांग्रेस ने संविधान में परिवर्तन कर धर्म निरपेक्ष शब्द को डाला था।
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