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खिलाफत की राह पर जर्मनी : खुलेआम लगे कट्टरपंथी नारे, कहा- शरिया कानून लागू होगा

2023 में भी जर्मनी की सड़कों पर इजरायली लोगों की मौत पर तालिबानी और अलकायदा के झंडों के साथ कट्टरपंथी भीड़ ने मनाया था जश्न

by सोनाली मिश्रा
May 2, 2024, 01:56 pm IST
in विश्लेषण
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जर्मनी में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने पिछले दिनों खिलाफत की मांग करते हुए यह नारे लगाए कि “खिलाफत ही समाधान है”। जर्मनी के हैम्बर्ग शहर मे कट्टरपंथी इस्लामिक समूह ने अपनी ताकत का परिचय देते हुए शनिवार को एक रैली निकाली। यह रैली “झूठों की बात नहीं माननी है” के उद्देश्य के अंतर्गत निकाली गई थी। रैली का आयोजन इस्लामिक समूह मुस्लिम इंटरएक्टिव ने किया था। जर्मनी के मीडिया के अनुसार 27 अप्रैल 2024 को हुए इस आयोजन में एक हजार एक सौ लोगों ने हिस्सा लिया था।

मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने कट्टरपंथी इस्लाम के समर्थन में कई प्रकार के नारे लगाए थे, जिनमें एक नारा था कि “खिलाफत ही समाधान है”। रैली मे खिलाफत को एक नायक बनाकर प्रस्तुत किया गया। इसमें उम्माह की बात की गई। उम्माह अर्थात मुस्लिमों की एक पहचान।

मंच पर इस्लामी कट्टरपंथी नेता रहीम बी, जो अपने यूट्यूब, टिकटॉक और इंस्टाग्राम के माध्यम से लाखों लोगों तक अपनी बात पहुंचाता है, उसने उम्माह के एक हो जाने की बात की। जर्मनी के मीडिया के अनुसार उसने लोगों से अपील की कि वह “बहुसंख्यक” समाज के खिलाफ लड़ाई करे।

रहीम बी अर्थात रहीम बोटेंग हैम्बर्ग में कट्टरपंथी इस्लामिक समूह का बड़ा नेता है और गाजा युद्ध के आरंभ होने के बाद बोटेंग और उसके समूह के समर्थकों की संख्या मे बहुत तेजी से इजाफा हो रहा है। हजारों की संख्या में ऐसे उसके अनुयायी हैं, जो उसके व्याख्यान में आते हैं और वह जर्मनी में खिलाफत की स्थापना करने के बारे में विचार देता है। जर्मनी की मीडिया के अनुसार वह अभी हैम्बर्ग की यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा है।

Today in Hamburg, Germany 🇩🇪:

Thousands calling for establishment of Muslim Caliphate and Sharia Law across Europe.

They escaped their shitty countries to come to Europe, to turn Europe into the shitty countries they escaped from.
pic.twitter.com/9ovPC4vlD9

— Dr. Eli David (@DrEliDavid) April 29, 2024

जर्मनी में खिलाफत के पक्ष में और उम्माह के पक्ष में नारे लगाने पर लोग यही प्रश्न कर रहे हैं कि जब इस्लामी शासन इन लोगों को इतना ही प्रिय होता है तो वह अपने देशों से भागकर क्यों आते हैं? वहीं अब इस घटना पर जर्मनी में यूनाइटेड अरब अमीरात के राजदूत अहमद अलट्टर ने निंदा करते हुए कहा कि यह घटना अविश्वनीय, अस्वीकार्य एवं अकल्पनीय है कि कैसे वे लोग जिन्हें जर्मनी ने घर दिया, वह जर्मनी के ही खिलाफ हो गए हैं। मगर फिर यही राजनीतिक इस्लाम है।

इम्तियाज महमूद ने एक्स पर इसी घटना के संबंध मे पोस्ट लिखते हुए कहा कि पश्चिम ने मिस्र की आलोचना इस बात को लेकर की थी कि उसने मुस्लिम ब्रदरहुड को नष्ट किया था, मगर उन्हें यह पता होना चाहिए कि कैसे कट्टरपंथी एक देश और उसकी प्रगति को नष्ट करते हैं। मिस्र अपनी सीमाएं गाजा मे हमास से सुरक्षित रखता है। कोई भी पड़ोसी मुल्क फिलिस्तीन शरणार्थियों को नहीं लेना चाहता है। उन्हें इसका पहले से ही अनुभव है।

अरब देश हमास के विरुद्ध इजरायल की आलोचना में मौन रहे थे और ईरान के खिलाफ तो उन्होंने सहायता भी की थी।

फिर उन्होनें लिखा कि इतिहास यह बताता है कि जब कोई किसी भी कारण से नरक के द्वार खोलता है तो वह नरक मासूमों का शिकार करती है।“

The recent demonstration in Hamburg calling for a Caliphate in Germany should have been a wake-up call for the political establishment in Germany.

Now the United Arab Emirates’ ambassador to Germany, Ahmed Alattar, sharply criticized the Islamist demonstration in Hamburg. It is…

— Imtiaz Mahmood (@ImtiazMadmood) May 1, 2024

तो क्या यह माना जाए कि यूरोप के देशों ने फ्री बॉर्डर और शरणार्थियों को शरण देकर ऐसा द्वार खोल लिया है, जो उनके अपने निर्दोष नागरिकों को निशाना बना रहा है।

मीडिया के अनुसार ऐसा नहीं है कि जर्मनी मे पहली बार यह हुआ है। मार्च 2023 मे भी हैम्बर्ग की सड़कों पर इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ उतरी थी और उसने नारा लगाया था कि “भविष्य कुरान का है” और उसके बाद जब अक्टूबर 2023 मे इजरायल मे लगभग 1200 लोग हमास का शिकार हुए थे तो लोगों ने तालिबान और अलकायदा जैसे झंडों के साथ इस्लामी झंडे के साथ इस घटना का स्वागत किया था।

फ्रांस में अफ़गान शरणार्थी ने एक किशोर की हत्या की

क्या यूरपीय देशों ने नरक का द्वार अपने बच्चों के लिए खोल लिया है? यह प्रश्न कई घटनाओं के विषय में वहीं के लोग कर रहे हैं? जब जर्मनी मे खिलाफत के नारे लग रहे थे तो उस दौरान फ्रांस मे एक पंद्रह वर्षीय बच्चे की हत्या उसी के हमउम्र अफगानी शरणार्थी ने कर दी थी। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर कब तक मासूम बच्चे इसका शिकार होते रहेंगे?

Say his name: Mathis Marchais (15)

He was stabbed to death in Châteauroux yesterday by an Afghan migrant recently released by the courts.

How many more innocent lives must be sacrificed on the altar of open borders? pic.twitter.com/LAyIWWyomm

— End Wokeness (@EndWokeness) April 28, 2024

फ्रांस की मीडिया के अनुसार हालांकि अभी तक कत्ल का उद्देश्य नहीं पता चल पाया है। मैथिस नामक इस बच्चे को चेटेउरौक्स शहर के सैन्ट डेनिस इलाके मे गले मे चार बार खंजर मारा गया और जब तक उसे अस्पताल पहुंचाया गया, तब तक उसकी मौत हो गई थी। जिस अफगानी शरणार्थी को हिरासत मे लिया गया है, उसे पहले भी चाकू की नोक पर डकैती के आरोप मे गिरफ्तार किया जा चुका था और उसे एक ही सप्ताह पहले रिहा किया गया था।

मीडिया के अनुसार फ्रांस मे शरणार्थियों द्वारा स्थानीय नागरिकों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। मार्च मे एक फिलिस्तीनी शरणार्थी ने केवल इस बात पर एक पुरुष के चेहरे पर चाकू मार दिया था, क्योंकि उसका बच्चा रोना बंद नहीं कर रहा था। वहीं एक अफ्रीकी शरणार्थी को 17 वृद्ध महिलाओं को पीटने और लूटने के आरोप मे गिरफ्तार किया गया था।

 

Topics: Sharia Lawशरिया कानूनजर्मनी समाचारजर्मनी की सड़कों पर कट्टरपंथीजर्मनी में कट्टरपंथी नारेGermany newsradicals on the streets of Germanyradical slogans in Germany
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