गुजरात में 7 मई को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। आप गुजरात में कहीं भी घूम लीजिए, लोग एक ही सवाल करते हैं कि इस बार भाजपा कितनी सीटों पर 5 लाख से ज्यादा मतों से जीतेगी। यानी लोग मान रहे हैं कि भाजपा आसानी से सभी 26 सीटों को पहले की तरह इस बार भी जीत लेगी। इसका सबसे बड़ा कारण है कि राज्य में विपक्ष की हालत बहुत ही पतली है। कांग्रेस की स्थिति यह है कि वह अभी तक अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा भी नहीं कर पाई है, वहीं दूसरी तरफ गुजरात भाजपा ने चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। उसने अपने सभी उम्मीदवार भी तय कर लिए हैं।
कांग्रेस ने अभी तक राजकोट, अमदाबाद पूर्व और नवसारी लोकसभा क्षेत्र के लिए अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। कांग्रेस के लिए मुश्किलें तब बढ़ीं जब दिग्गज कांग्रेसी नेता जगदीश ठाकोर, भरत सिंह सोलंकी, शैलेश परमार और रोहन गुप्ता ने लोकसभा चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया। रोहन गुप्ता का तो नाम भी घोषित हो चुका था, लेकिन अचानक उन्होंने अपने ‘पिता के स्वास्थ्य’ को देखते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। कांग्रेसी नेताओं के सामने सबसे बड़ी समस्या चुनावी कोष को लेकर है।
गुजरात में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन है। भरुच और भावनगर में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन यहां भी कांग्रेस की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। कांग्रेस के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता पार्टी के निर्णय की अवहेलना करते हुए आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में कैसे अपने उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने से बचाएगी, यह सवाल भी चर्चा में है।
इन सवालों के पीछे की वजह हैं पिछले दो लोकसभा चुनाव के परिणाम। 2014 में गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर लिया था। यह कांग्रेस के लिए गुजरात में पहला बड़ा झटका था। 2014 में 16 और 2019 मेें 22 सीटों पर भाजपा को 2 लाख से ज्यादा मतों से जीत मिली थी। इस बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी. आर. पाटिल ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे हर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को 5 लाख से अधिक मतों से जीत दिलाने के लिए कार्य करें। इसके लिए भाजपा हर तरह की तैयारी कर रही है। भाजपा का आईटी विभाग तीन महीने से भी अधिक समय से कार्य कर रहा है।
मतदान केंद्र के स्तर पर तीन अधिकारियों की एक टीम बनाई गई है, जो हर तरह के आंकड़े तैयार कर रही है। प्रत्येक लोकसभा में एक कॉल सेंटर स्थापित किया गया है, जो प्रदेश कार्यालय ‘कमलम्’ से जुड़ा हुआ है। भाजपा कार्यालयों में कार्यरत कार्यकर्ताओं को ‘सरल एप’ के जरिए अपने क्षेत्र के मतदाताओं की पूरी जानकारी मिल रही है। कमलम् में 24़7 संचार केंद्र शुरू किए गए हैं। वर्तमान में भाजपा एन.ए.एस. सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है, जिसमें एक क्लिक से वर्षों का विवरण उपलब्ध हो जाता है।
भाजपा कार्यालयों में कामकाज कागज-विहीन हो गया है, क्योंकि पदाधिकारी ज्यादातर काम ‘सरल एप’ के माध्यम से करते हैं। ए.आई.का उपयोग जियो टैगिंग या जियो फेंसिंग के लिए किया जाता है। गुजरात के प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में जीपीएस से जुड़े एलईडी रथ पिछले डेढ़ महीने से भाजपा का प्रचार कर रहे हैं। प्रत्येक जिला कार्यालय में एक एंड्रॉइड पैनल स्थापित किया गया है, जिसके माध्यम से प्रधानमंत्री की चुनावी सभा या किसी अन्य अधिसूचना को सभी जिलों में एक साथ लाइव किया जा सकता है। राज्य में लगभग 8,000 कार्यकर्ताओं की एक टोली सोशल मीडिया के लिए काम कर रही है।
आम आदमी पार्टी ने भी अपना आंतरिक ‘एप’ विकसित किया है। इसके माध्यम से बूथ प्रबंधन भी किया जाता है। मतदाताओं के लिए ‘केजरीवाल ऐप’ भी विकसित किया गया है। पैसे की कमी से जूझ रही गुजरात कांग्रेस प्रचार के लिए गाने, नारे आदि तैयार करने के लिए ए.आई. तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। सोशल मीडिया पर अधिक पहुंच बढ़ाने के लिए कांग्रेस एआई टूल का भी उपयोग कर रही है। भाजपा ने चुनाव की दृष्टि से जो काम कई महीने पहले कर लिया है, कांग्रेस वह काम अब कर रही है। इन कारणों को देखते हुए लोग कह रहे हैं कि इस बार भी गुजरात में फूल ही खिलने वाला है।
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