उत्तराखंड ब्यूरो / हरिद्वार । भारत और तिब्बत के बीच हमेशा भू सांस्कृतिक आध्यात्मिक संबंध रहा है,ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सेवा निवृत ब्रिगेडियर टी सी मेहरोत्रा ने कही। संपर्क विभाग द्वारा एक गोष्ठी का आयोजन ने शहर के प्रबुद्ध जनों ने हिस्सा लिया और भारत तिब्बत मैत्री पर जोर दिया। गोष्ठी की अध्यक्षता ब्रिगेडियर टी सी मेहरोत्रा (सेवा निवृत्त), वर्तमान में मुख्य महाप्रबंधक पतंजलि योगपीठ, ने करते हुए चीन की विस्तारवादी नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि उसने व्यापारिक लोभ में आध्यात्मिकता को कुचलने का खेल खेला।
गोष्ठी को सुशील क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, एवं निधि बहुगुणा, केंद्रीय टोली सदस्य, जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉक्टर अचल कुमार गोयल, श्रेणी प्रमुख प्रबुद्ध नागरिक व सम्पर्क श्रेणी प्रमुख अमित शर्मा संपर्क विभाग,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरिद्वार ने किया।
कार्यक्रम में अनेक संतों की गरिमामई उपस्थिति भी रही। अमेरिका से आए गुरु दिलीप जी महाराज, सचिव संयुक्त राष्ट्र धार्मिक संगठन, विश्व योग समिति के वैश्विक चेयरमैन, योगी आशुतोष, आदि शंकराचार्य वैदिक फाउंडेशन के संस्थापक, जेल सुधारक एवं वक्ता।
इनके अतिरिक्त रवि देव शास्त्री , पूज्य महंत गरीब दासीय आश्रम, तन्मय वशिष्ठ , महामंत्री गंगा सभा हरिद्वार, संजय महंत, चेतन ज्योति आश्रम, शिवम महंत, अध्यक्ष युवा भारत साधु समाज भी उपस्थित रहे।
तिब्बत के एक निवासी श्रीज्ञाल्पो, देहरादून में तिब्बत प्रशासन के अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
सुशील जी ने बताया कि भारत और चीन कभी भी पड़ोसी नहीं रहे। पहले भारत और तिब्बत की सीमाएं मिलती थीं, इसीलिए भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) आज भी है। कैलाश मानसरोवर आदिकाल से भारतीयों का एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा है, यात्राएं चलती रही हैं। चीन विस्तारवादी है, इसलिए अरुणाचल के भी अनेक स्थानों का नाम बदल कर अपने दावे कर रहा है।
वक्ता निधि बहुगुणा ने कहा कि कैलाश मानसरोवर के पास मिनसर नामक एक स्थान के लोग लगभग 400 वर्षों से पहले लद्दाख और फिर भारत को 1962 तक अपना कर देते रहे। इसलिए भारत और तिब्बत समाज को जागृत होकर चीन के विस्तार को रोकने के लिए, भारत की महत्त्वपूर्ण नदियों को सतत बहाव बनाए रखने के लिए इस पर चिंतन की आवश्यकता है।
ब्रिगेडियर टी सी मेहरोत्रा (सेवा निवृत्त) ने बताया कि चीन अपनी रणनीतिक एवं औद्योगिक स्थिति को सशक्त बनाने के लिए अपनी सीमाएं बढ़ाने में लगा हुआ है। वर्तमान सरकार द्वारा सेनाओं को सशक्त बना कर और सीमायो तक आवाजाही बढ़ा कर देश रक्षा एक नया वातावरण बनाने का कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि व्यापारिक लोभ में चीन ने तिब्बत के अध्यात्म को कुचल दिया है।
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