भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गत दिनों लक्षद्वीप यात्रा पर छींटाकशी करके भारत के क्रोध के निशाने पर आई मालदीव की चीन परस्त सरकार ने आखिरकार भारत को उसके बड़े दिल के लिए धन्यवाद दिया है। यहां ध्यान रहे कि भारत और मालदीव के बीच उस घटना के बाद से द्विपक्षीय संबंध अपने सबसे निम्न स्तर पर थे। इसके बावजूद भारत ने मालदीव को पूर्व वादे के अनुसार आवश्यक वस्तुएं निर्यात करके दिखा दिया है कि हम पड़ोसियों की जरूरतों को भी उतना ही महत्व देते हैं।
भारत की मोदी सरकार ने 2024-25 में मालदीव को भेजी जाने वाली जरूरी वस्तुओं को हरी झंडी दिखा दी है। भारत और मालदीव के बीच ‘सागर’ संधि के अंतर्गत मालदीव ने अपने हिस्से की आवश्यक वस्तुओं को भेजने का आदेश देने के लिए भारत का आभार जताया है।
उल्लेखनीय है कि भारत की मोदी सरकार की विदेश नीति में ‘पहले पड़ोसी’ नीति बहुत मायने रखती है। इसी के तहत मालदीव भेजे जाने के लिए अंडे, प्याज, आलू, गेहूं, चावल, आटा, दाल, चीनी, पत्थर तथा रेत की मात्रा तय की गई है। भारत के इस कदम के बाद मालदीव ने न सिर्फ भारत का धन्यवाद किया है, बल्कि वहां के विदेश मंत्री ने इस बारे में विशेष तौर पर एक ट्वीट करके विदेश मंत्री जयशंकर और मोदी सरकार का आभार जताया है।
मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने अपने ट्वीट में लिखा कि भारत ने साल 2024-25 के लिए मालदीव को मर्यादित मात्रा में जरूरी चीजों के निर्यात की अनुमति दी है, यह सद्भावना दिखाता है। यह दोनों देशों के मध्य लंबे वक्त से चली आ रही मित्रता का प्रतीक है। इस ट्वीट के जवाब में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने लिखा कि भारत अपनी ‘पहले पड़ोसी’ नीति को लेकर दृढ़ता से प्रतिबद्धता रखता है।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने जो सूचना जारी की है उसके अनुसार, यहां से करीब 42.7 करोड़ अंडे, 25.513 टन आलू, 35.749 टन प्याज, 1.24 लाख टन चावल, 1.1 लाख टन गेहूं का आटा तथा 64.494 टन चीनी मालदीव को भेजी जाएगी। वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि मालदीव गणराज्य को सूची में लिखीं वस्तुओं के निर्यात को 2024-25 के दौरान या आगे प्रतिबंध/निषेध से छूट दी जाएगी।
मालदीव की राजधानी माले से वहां के विदेश मंत्री ने इसे जिस प्रकार से लंबे समय से चली आ रही दोस्ती तथा मजबूत प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है और जिस प्रकार से इसी ट्वीट के साथ कारोबार और लेन—देन में विस्तार की अपेक्षा व्यक्त की है उससे लगता है मालदीव को समझ आ गया है कि भारत जैसे ताकतवर पड़ोसी से मनमुटाव कितना हानिकारक हो सकता है।
भारत सरकार ने गत 6 अप्रैल को मालदीव के लिए खाने—पीने की उक्त जरूरी चीजों के मर्यादित निर्यात की इजाजत देकर ‘सागर’ संधि का मान रखा है बल्कि यह भी जताया है कि क्षेत्र में सभी की सुरक्षा तथा विकास हिंद महासागर क्षेत्र में दूसरे देशों के साथ समुद्री सहयोग के लिए भारत तत्पर रहता है।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने जो सूचना जारी की है उसके अनुसार, यहां से करीब 42.7 करोड़ अंडे, 25.513 टन आलू, 35.749 टन प्याज, 1.24 लाख टन चावल, 1.1 लाख टन गेहूं का आटा तथा 64.494 टन चीनी मालदीव को भेजी जाएगी। वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि मालदीव गणराज्य को सूची में लिखीं वस्तुओं के निर्यात को 2024-25 के दौरान या आगे प्रतिबंध/निषेध से छूट दी जाएगी।
भारत की आज प्रशंसा कर रहा यही मालदीव नई चीन परस्त सरकार बनने के बाद से ही चीन के कथित इशारे पर भारत पर बेवजह के आक्षेप लगाता आ रहा था। राष्ट्रपति मुइज्जू पहले से चीन के पिछलग्गू माने जाते रहे हैं। भारत के सद्भावनापूर्ण व्यवहार को वहां की सरकार शायद कमजोरी समझती हो लेकिन अब संभवत: उसे यह साफ हो गया है कि इस क्षेत्र में अब चीन से ज्यादा मोल भारत का हो गया है।
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