भारत के पड़ोसी इस्लामी देश में मजहबी उन्मादी तत्वों के वर्चस्व वाली बीएनपी पार्टी ने वहां जिस प्रकार का ‘इंडिया आउट’ अभियान छेड़ा हुआ है उसे लेकर सत्तारूढ़ अवामी लीग ने साफ चेतावनी दी है। उसने कहा है कि अगर यह अभियान चलता रहा तो देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी पार्टी के इस अभियान का एजेंडा है देश में भारतीय हितों पर चोट पहुंचाना। कहा जा रहा है कि बीएनपी पर हावी मजहबी उन्मादी तत्व बाहरी ताकतों के इशारे पर वहां भारत विरोध का झंडा उठाए हुए हैं। इससे आम बांग्लादेशी सरोकार नहीं रख रहा, वह परेशान हो रहा है।
बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी बीएनपी और उसकी सहायक जमाते इस्लामी पार्टी मजहबी मुद्दों को भड़काती रही है। वह देश में कठमुल्ला राज चाहती है। लेकिन जनता उसे बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। बीएनपी और जमाते इस्लामी को पड़ोस में विकास कर रहे भारत से ऐसी चिढ़ है कि कथित बाहरी ताकतों के उकसावे पर वह अपने यहां भारतीय हितों पर चोट कर रही है। अभियान के पीछे देशघाती एजेंडे के विरुद्ध प्रधानमंत्री शेख हसीना भी अपना आक्रोश प्रकट कर चुकी हैं।
बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी बीएनपी और उसकी सहायक जमाते इस्लामी पार्टी मजहबी मुद्दों को भड़काती रही है। वह देश में कठमुल्ला राज चाहती है। लेकिन जनता उसे बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। बीएनपी और जमाते इस्लामी को पड़ोस में विकास कर रहे भारत से ऐसी चिढ़ है कि कथित बाहरी ताकतों के उकसावे पर वह अपने यहां भारतीय हितों पर चोट कर रही है।
बीएनपी के इस अभियान के जरिए वहां भारत निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार करने की अपीलें की जा रही हैं। बीएनपी इसके पीछे तर्क देती है कि उनके देश में ‘भारत का दखल बढ़ने’ से देशक का अहित होगा।
राजधानी ढाका में इसे लेकर बहस चल रही है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में कुछ समय पहले हुए आम चुनावों के वक्त से ही मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) भारत विरोधी रवैया अपनाए हुए है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी ने ही यह कथित ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाया हुआ है। लोगों से कहा जा रहा है कि भारत में बना सामान ना खरीदें। अवाम से बांग्लादेश में भारत के हितों को कम करने की उन्मादी अपीलें हो रही हैं।
देश का नुकसान पहुंचाने वाले बीएनपी के इस नफरती अभियान को लेकर प्रधानमंत्री हसीना की सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग खासी नाराज है। अवामी लीग ने इस भारत विरोधी अभियान पर कहा है कि यह बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर रहा है। यहां बता दें कि बांग्लादेश में भारत की मदद से कई विकास कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। लेकिन लंबे समय से सत्ता से बाहर बनी हुई बीएनपी को विकास और अर्थव्यवस्था से जैसे कोई सरोकार ही नहीं है। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमलों, उनकी हत्या आदि मामलों में अधिकांशत: बीएनपी या जमाते इस्लामी के मजहबी उन्मादियों का हाथ पाया जाता रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ अवामी लीग ने कहा है कि बीएनपी का ‘इंडिया आउट’ अभियान जिस तरह से भारत से सामान मंगाए जाने का विरोध कर रहा है उससे देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही है। बीएनपी का ‘इंडिया आउट’ अथयान सीधे सीधे देश के कारोबार, रोजगार, उद्योग—धंधों तथा पर्यटन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। राजधानी ढाका की आर्थिक स्थिति बिगाढ़ सकता है। हसीना की पार्टी में वित्त और योजना मामलों के जानकार अहमद खान का कहना है कि झूठ तथा अफवाहों को आधार बनाकर भारत या और किसी देश के सामान का बहिष्कार करना किसी भी तरह से भी राजनीतिक व्यवहार का अंग नहीं है। देश की आम जनता पर इसका बहुत खराब असर पड़ेगा।
बांग्लादेश के समझदार लोग जानते हैं कि मालदीव जैसे देश में भारत विरोधी अभियान का क्या नतीजा निकला है। किस तरह वहां की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट लगी है। इसलिए सत्ता में बैठे नेता भी जानते हैं कि भारत जैसे बड़े और विकसित देशों की कतार में खड़े देश से नाता खराब करना उनके देश के हित में नहीं होगा। लेकिन बीएनपी को शायद विकास और अन्य भली बातों से कोई मतलब नहीं है।
वित्त विशेषज्ञ खान का कहना है कि बीएनपी भारतीय उत्पादों के विरुद्ध अपने इस नफरती अभियान में जिन भारतीय सामानों की बात कर रही है वे तो बहुत ही कम लिए जाते हैं, लेकिन जहां तक दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों की बात है तो उसमें रुकावट डालने से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को सीधा नुकसान पहुंचेगा।
यहां गौर करना होगा कि भारत से बांग्लादेश में कपास सहित करीब 97 उत्पाद तथा अन्य वस्तुएं जाती हैं। इसका उस देश के पास अन्य कोई जरिया नहीं है। भारत से वहां जाने वाले उत्पादों को किसी और देश से मंगाने पर 20 से 40 फीसदी लगात बढ़नी तय है। जहां आयात का माल ढुलाई शुल्क के साथ मोल 14 अरब डालर आता है वह बढ़कर 20 अरब डॉलर हो जाएगा। वित्त विशेषज्ञ का कहना है कि भारत से तो बहुत कम लागत में सामान आयात किया जा सकता है। दूसरे देशों से ये चीजें लाने पर कहीं ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा जो अर्थव्यवस्था को सीधी चपत लगाएगा।
यह पूरा अभियान बीएनपी क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए भारत को लेकर एक डर पैदा करना चाहती है। यह वही बीएनपी है जिसने आम चुनावों को बहिष्कार करके बांग्लादेश को दुनिया में बदनाम करने की कोशिश की थी। इसलिए कहा जा रहा है कि, खालिदा जिया नहीं चाहतीं कि बांग्लादेश राजनीतिक तथा आर्थिक रूप से स्थिर रहे। यही वह है कि देश को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए वे भारत का हौव्वा खड़ा करके यह नफरती अभियान छेड़े हुए हैं।
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