धार । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) का सर्वे सातवें दिन गुरुवार को भी जारी है। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की 17 सदस्यीय टीम सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर भोजशाला पहुंची और सर्वे का काम शुरू किया। इस दौरान टीम के साथ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और मैपिंग के उपकरण भी नजर आए। एएसआई की टीम के साथ करीब 20 मजदूर भी परिसर में पहुंचे। इस दौरान हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा और आशीष गोयल तथा मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान भी भोजशाला में पहुंचे हैं।
भोजशाला के बाहर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। एएसआई की टीम के साथ पहुंचे मजदूरों को जांच के बाद भोजशाला में प्रवेश दिया गया। भोजशाला में उत्खनन, कार्बन डेटिंग जीपीएस, जीआरएस पद्धति सहित आधुनिक संसाधनों द्वारा सर्वे का काम किया जा रहा है। सर्वे का काम पीछे की तरफ चल रहा है। यहां तीन स्पॉट बनाए गए हैं, उसमें साढ़े छह फीट गहराई तक गड्ढे कर दिए गए।
खुदाई में मिले कई अवशेष
सर्वे में खोदाई के दौरान जो पत्थर और अन्य अवशेष मिले हैं, उनको एएसआइ की टीम ने सुरक्षित किया है। इनके नमूने जांच के लिए भेज जाएंगे। हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने दावा किया है कि ये अवशेष सीधे तौर पर मंदिर और सनातनी संस्कृति के के प्रमाण हैं। इससे हिंदू समाज में उत्साह है।इसके अलावा टीम ने मुख्य परिसर के बीचों-बीच स्थित हवन कुंड का भी परीक्षण किया। लाल पत्थरों से बनी दीवारों और स्तंभ की भी बारीकी से परीक्षण किया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो टीम कार्बन डेटिंग कराएगी।
एक और कक्ष को सर्वे में किया शामिल
मंगलवार को हिंदू धर्मावलंबियों के दर्शन-पूजन के लिए परिसर में आने की वजह से एएसआइ की टीम भोजशाला के भीतरी क्षेत्र में सर्वे करने नहीं जा पाई थी। बुधवार को पर्यटकों के लिए रोक होने के कारण भोजशाला पूरी खाली रही। टीम ने भीतरी परिसर में सर्वे का कार्य विशेष रूप से किया। यहां पर कुछ स्थानों पर टीम ने वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की।
मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर उठाए सवाल
गुरुवार को सुबह भोजशाला पहुंचे मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने फिर सर्वे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राजा भोज का किला कहां था। किला था तो भोजशाला कहां थी। भोजशाला मिस्ट्री थी। उसको ढूंढने की कोशिश की जाए। हम भी चाहते हैं कि उसको ढूंढा जाए।
जाने क्या है विवाद
दरअसल, राजा भोज ने धार की भोजशाला को बनाया था। जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार यह एक यूनिवर्सिटी थी, जिसमें वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में बदल दिया था। इसके अवशेष प्रसिद्ध मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में भी देखे जा सकते हैं। यह मस्जिद भोजशाला के कैंपस में ही स्थित है, जबकि देवी प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी है। वर्ष 1902 में लॉर्ड कर्जन धार में मांडू के दौरे पर आए थे। उन्होंने भोजशाला के रखरखाव के लिए 50 हजार रुपये खर्च करने की मंजूरी दी थी। तब सर्वे भी किया गया था। सन 1951 को धार भोजशाला को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है। तब हुए नोटिफिकेशन में भोजशाला और कमाल मौला की मस्जिद का उल्लेख है। याचिका हिंदू फॉर जस्टिस ट्रस्ट की तरफ से लगाई गई थी। इसके अलावा छह अन्य याचिकाएं भी इस मामले में पूर्व में लगी हैं। ट्रस्ट की तरफ से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने पक्ष रखते हुए बताया था कि 1902 में हुए सर्वे में भोजशाला में हिंदू चिन्ह, संस्कृत के शब्द आदि पाए गए हैं। इसकी वैज्ञानिक तरीके से जांच होना चाहिए, ताकि स्थिति स्पष्ट हो।
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