देहरादून। उत्तराखंड में जैसे-जैसे मुस्लिम आबादी पांव पसार रही है वैसे-वैसे यहां के कट्टरपंथी मुस्लिम युवकों के राष्ट्रविरोधी कनेक्शन भी सामने आने लगे हैं। असम में एसटीएफ द्वारा पकड़े गए आतंकी हैरिस फारूखी और उसके साथी रेहान के बाद कहा जा सकता है कि उत्तराखंड के मैदानी जिले भी राष्ट्रविरोधी तत्वों की प्रयोगशाला बनते जा रहे हैं।
उत्तराखंड में दो साल पहले हरिद्वार जिले में एसटीएफ ने दो बांग्लादेशी युवकों को गिरफ्तार किया था, जिनके संपर्क राष्ट्रविरोधी तत्वों से थे। कल असम से दो आतंकियों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है, जिनमें एक इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) का इंडिया प्रमुख हैरिस फारूखी है। उसका पता देहरादून के चकराता क्षेत्र का बताया गया है जबकि दूसरे का नाम रेहान है जिसने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम स्वीकार किया था और उसकी पत्नी बांग्लादेशी बताई गई है। ये दोनों असम के छोटे से कस्बे से अपनी गतिविधियों का संचालन कर रहे थे।
जानकारी के मुताबिक हैरिस फारूखी दस साल से देहरादून स्थित अपने घर नहीं आया था और देहरादून और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई की थी। उसकी गतिविधियां शुरू से संदिग्ध रही है। देहरादून पुलिस के एसएसपी अजेय सिंह के मुताबिक हैरिश फारूखी के पिता अजमल फारूखी का तहसील चौक पर यूनानी दवाखाना है और वह दो साल से फरार है। अजमल के भाई डॉ तारिक भी यहीं देहरादून रहते हैं जिनका कहना है कि जब से ये लोग यहां से गए उनका इस परिवार से कोई संबंध नहीं है। वे कहां गए ?कहां रहते हैं? इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक अजमल फारूखी का भी पहले मुस्लिम संगठन सिमी के साथ संबंध रहा है और हैरिस भी उसी रास्ते पर चला। सिमी पर जब प्रतिबंध लगा तब से ये लोग यहां से बाहर जाकर अपनी गतिविधियों का संचालन करते रहे हैं। एसएसपी के अनुसार हैरिस को लेकर पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने कई बार उसके पिता अजमल से पूछताछ भी की थी किंतु उन्होंने कोई इनपुट नहीं दिया। एक बार तो देहरादून पुलिस एक सूचना के आधार पर हैरिस के पास तक पहुंच भी गई थी किंतु वह हाथ नहीं आया। जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड पुलिस एसटीएफ के संपर्क में है क्योंकि हैरिस और रेहान के पकड़े जाने के बाद अब इसके गैंग से जुड़े लोगों की तलाश में जुटा जा सकेगा।
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की प्रयोगशाला के रूप में उत्तराखंड में मुस्लिम संगठनों की गतिविधियां लगातार संदेह के घेरे में हैं। पछुवा देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर, हल्द्वानी और राम नगर इस दृष्टि से बेहद संवेदनशील हो चुके हैं। खबर है कि विदेशी एजेंसियों और देश के कई एजेंसियों से हो रही फंडिंग से युवकों को जमीन जिहाद, मजार जिहाद, लव जिहाद जैसे कामों में लगाया जा रहा है और इन्हें देखने के लिए स्लीपर्स सेल काम कर रहे हैं।
हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा इसका एक उदाहरण मात्र है, जिसमें ये जानकारी सामने आई है कि इस हिंसा के पीछे बाहरी एजेंसियों का भी हाथ था।
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